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राहुल गांधी की चाल से अमित शाह की हुई मात, सत्‍ता की होड़ में लौटी कांग्रेस

इन विधानसभा चुनाव नतीजों में तीन हिंदी राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नतीजों का विश्लेषण करें, तो तीन राज्यों में कांग्रेस की 163 सीटें बढ़ी हैं।

नई दिल्लीDec 12, 2018 / 10:16 pm

Navyavesh Navrahi

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इलेक्शन

देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा के नतीजों पर नजर डालें, तो कांग्रेस की स्थिति सुधरती हुई दिख रही है। यह नतीजे कांग्रेस के अंदर नई जान फूंकने वाले हैं। इन नतीजों को 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान लिया जाए, तो तस्वीर बदली हुई नजर आती है।
राष्ट्रीय राजनीति में पिछड़ चुकी कांग्रेस ने इस बार राहुल गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय मुख्यधारा की राजनीति में लौटने के लिए पूरा जोर लगाया और तीनों राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा को कड़ी चुनौती देने में कामयाब रही।
इन विधानसभा चुनाव नतीजों में तीन हिंदी राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नतीजों का विश्लेषण करें, तो तीनों में भाजपा ने 2013 में जीती सीटों में से 180 सीटों को खोया है। जबकि कांग्रेस की 163 सीटें बढ़ी हैं। साल 2013 में इन तीन राज्यों में भाजपा ने 377 सीटें और कांग्रेस ने 118 सीटें जीती थीं।
छत्तीसगढ़: कांग्रेस को मिला सत्ता विरोधी लहर का फायदा

छत्तीसगढ़ में पिछली बार के चुनाव नतीजों से तुलना करें, तो 2013 में भाजपा को 49 और कांग्रेस को 41 सीटें मिली थीं। इस बार कांग्रेस को भरोसा था कि यहां भी इसे सत्ता विरोधी लहर का लाभ मिलेगा और हुआ भी ऐसा ही। इन चुनावों में भाजपा को भारी पराजय देकर कांग्रेस ने सत्ता में धमाकेदार वापसी की है। यहां कांग्रेस 68 और भाजपा 15 सीटें मिली हैं।
राजस्थान: सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस

राजस्थान विधानसभा के लिए 199 सीटों के लिए चुनाव हुआ। 2013 के चुनावों में कांग्रेस को यहां शर्मनाक पराजय का मुंह देखना पड़ा था। इसे केवल 21 सीटें मिली थीं। किंतु इस बार राजस्थान में कांग्रेस वहां सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है। यहां कांग्रेस को 99 सीटें मिली हैं। जबकि भाजपा यहां 73 सीटों पर सिमट गई है।
मध्य प्रदेश में रही कांटे की टक्कर

मध्य प्रदेश पर नजर डालें तो 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 168 सीटें मिली थीं। शिवराज सिंह चौहान तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। कांग्रेस को यहां 58 सीटें मिली थीं। यहां कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर रही। नतीजों से पहले भी कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा आगे-पीछे रही। यहां कांग्रेस को 113 और भाजपा को 109 सीटें मिली हैं।
तेलंगाना: कांग्रेस की छह सीटें बढ़ीं

तेलंगाना की बात करें, तो यह पहले आंध्र प्रदेश के साथ था। 2014 में बंटवारे के बाद यह अस्तित्व में आया। इसके हिस्से 119 सीटें आईं। तब तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को 90 और कांग्रेस को केवल 13 सीटें मिलीं। उस समय टीआरएस के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव को मुख्यमंत्री बनाया गया। इस बार यहां पर कांगेस की पिछली बार से छह सीटें बढ़ी हैं। कांग्रेस 19 सीटों पर जीती है। जबकि टीआरएस को 88 सीटें मिली हैं। यहां पर एक सीट भाजपा को मिली है।
मिजोरम: दस साल बाद सत्ता में आया एमएनएफ

मिजोरम जैसे क्षेत्र के हिसाब से छोटे राज्य की बात करें, तो यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई नेता प्रचार के लिए पहुंचे। यहां दोनों बड़े दलों भाजपा और कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है। इन दोनों दलों को पछाड़ते हुए यहां मिजो नैशनल (एमएनएफ) फ्रंट सबसे आगे रहा है। एमएनएफ ने यहां 26 सीटों पर जीत दर्ज कराई है। जबकि कांग्रेस 5 और भाजपा 1 ही सीट ही जीत पाई है। एमएनएफ पिछले दस साल से यहां सत्ता से बाहर था। जानकारों की मानें, तो तीनों राज्यों में भाजपा की हार के पीछे मुख्य कारण जनता की नाराजगी और इसके अपने सहयोगियों और साथियों में व्याप्त असंतोष रहा। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर का लाभ मिला।

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