दरअसल, 2009 में सिंधिया ट्रस्ट की एक जमीन बेचने के मामले में आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में सुरेंद्र श्रीवास्तव की शिकायत पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। मामला 2012 में दर्ज हुआ और 2018 में भाजपा सरकार में ही मामले को खत्म कर दिया गया। लेकिन 12 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जैसे ही भाजपा का दामन थामा। सुरेंद्र श्रीवास्तव को तत्काल बुलाकर दोबारा मामले की जांच शुरू कर दी गई।
जांच शुरू करने के पीछे की वजहें राजनीतिक मानी जा रही थीं, क्योंकि सिंधिया अपने साथ कांग्रेस के 22 विधायकों को लेकर अलग हुए थे। ऐसे में कांग्रेस सरकार ने दबाव बनाने के लिए सिंधिया के खिलाफ मामले की जांच दोबारा शुरू कर दी। हालांकि भाजपा की सरकार बनने के बाद मामले की जांच को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।