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सिद्धार्थनगर

बीजेपी इस सांसद को दुबारा उतारने के मूड में नहीं, इन सांसदों पर गिर सकती है गाज

भाजपा के टिकट पर चुनावी वैतरणी पार करने वाले इन लोगों की जगह नए चेहरों पर लगेगा दांव

सिद्धार्थनगरOct 04, 2018 / 02:25 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

पाला बदलने में माहिर माने जाने वाले पूर्वांचल के कद्दावर नेता जगदंबिका पाल का टिकट इस बार फंस सकता है। भगवाधारी हुए इस पूर्व कांग्रेसी नेता के टिकट पर बीजेपी नेतृत्व विचार करने में लगी है। माना जा रहा है कि बीजेपी दूसरे दलों से आकर बीजेपी की टिकट पर सांसद बने कई सांसदों को इस बार बैठाकर दूसरे चेहरों को मैदान में उतारने जा रही है। बीजेपी की बैैठकों में लगातार ऐसे संकेत कार्यकर्ताओं को दिए जा रहे ताकि वे अपनी नाराजगी दूर कर मिशन 2019 में पूरे मनोयोग से लग जाएं।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे जगदंबिका पाल बस्ती क्षेत्र में एक जानामाना चेहरा माना जाता है। कांग्रेस की टिकट पर विधायक और सांसद रह चुके जगदंबिका पाल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अचानक से पाला बदला और कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपाई हो गए। पाल के भाजपा में जाते ही बीजेपी ने उनको डुमरियागंज सीट से संसदीय चुनाव में प्रत्याशी बना दिया। जनता की लहर को अच्छे तरीके से भापकर पाला बदलने में माहिर माने जाने वाले जगदंबिका पाल को मोदी की लहर का फायदा मिला और वह 2014 का लोकसभा चुनाव भी जीतने में सफल रहे। हालांकि, स्थानीय भाजपा के नेताओं ने फौरी तौर पर तो विरोध किया लेकिन बाद में सब साथ हो लिए।
इस बार 2019 का चुनाव नजदीक आते ही पाल विरोधी गुट एक बार फिर सक्रिय हो गया है। वहीं दूसरी ओर पाल की विरोधी दलों के नेताओं के साथ नजदीकियां भी क्षेत्र में काफी चर्चा का केंद्र बन रहा है।
उधर, भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी रणनीतिक रूप से कुछ सांसदों का टिकट काटने पर विचार कर रही है। इसमें डुमरियागंज सीट पर भी गाज गिरने की आशंका जताई जा रही है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी डुमरियागंज सीट को लेकर काफी आशंकित है। इसलिए वह चेहरा बदलकर जनता के बीच जाने का मन बना रही है।
हालांकि, पार्टी फिलहाल अपने सांसदों व विधायकों को उनके क्षेत्र में लगातार संगठन के कार्य करवाकर उनकी कार्यक्षमता जानने में लगी है। प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने बैठकों में साफ-साफ चेतावनी दे दी है कि सांसद/विधायक संगठन की छोटी से छोटी बैठकों में जाएं, कार्यकर्ताओं के साथ काम करें ताकि कार्यकर्ताओं को यह महसूस हो कि उनके साथ सांसद/विधायक खड़े हैं।
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