लोकसभा से वाॅकआउट करने से पहले विपक्षी दल के सदस्यों ने मोदी सरकार के रुख को अलोकतांत्रिक करार दिया। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सरकार को कम से कम अब्दुल्ला की उम्र का ख्याल रखना चाहिए।
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा की बैठक शुरू होते ही कांग्रेस, नेशनल कान्फ्रेंस, द्रमुक और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस विषय पर हंगामा शुरू कर दिया। उनके साथ ही शिवसेना के सदस्य महाराष्ट्र में किसानों के मुद्दे पर नारेबाजी कर रहे थे। कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए स्पीकर के आसन के निकट पहुंच गए। उन्होंने ‘फारूक अब्दुल्ला को वापस लाओ’ और ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ के नारे लगाए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल चलाना शुरू किया। उन्होंने इस दौरान विपक्षी सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने का आग्रह करते हुए कहा कि वह हर विषय पर चर्चा को तैयार हैं और सदन में नारेबाजी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन सबकी सहमति से चलता है, सभी सदस्य सदन की गरिमा बनाये रखें।
सदन में नारेबाजी के बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। कार्य मंत्रणा समिति में जो मुद्दे तय होंगे उन पर नियमों के अनुसार चर्चा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुद इस बारे में आश्वासन दिया है। प्रश्नकाल में कांग्रेस, द्रमुक, नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्य आसन के समीप नारेबाजी करते रहे। प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद अध्यक्ष ने कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को उनकी बात रखने का मौका दिया।
बता दें कि नेशनल काॅन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला बीते पांच अगस्त से हिरासत में है। केंद्र ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया। इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल था। लेकिन 5 अगस्त को केंद्र ने पूर्व राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। अब्दुल्ला व जम्मू-कश्मीर के कई अन्य नेता अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद से हिरासत में हैं।