दरअसल, कांग्रेस पार्टी शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने को तैयार है। उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने से भी सोनिया गांधी को कोई ऐताराज नही हैं। लेकिन, रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी NCP प्रमुख
शरद पवार से शिवसेना को लेकर ‘गारंटी’ चाहती हैं। शायद यही कारण है कि सरकार गठन पर मामला अटका हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार गठन में देरी की वजह शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के बीच सत्ता के बंटवारे के साथ-साथ विचारधारा का भी बड़ा टकराव है। सोनिया गांधी विवादास्पद मुद्दों पर भविष्य में शिवसेना की भूमिका पर शरद पवार से ‘गारंटी’ चाहती हैं। जानकारी के मुताबिक, सोनिया गांधी चाहती हैं कि एनसीपी प्रमुख पवार इस बात की गारंटी दें कि शिवसेना भविष्य में साम्प्रदायिक नीतियों को भविष्य में न दोहराएं। वहीं, शरद पवार इसे लेकर असमंजस में हैं और इस बात का आश्वासन नहीं दे सके हैं। सोनिया गांधी यह भी चाहती हैं कि शिवसेना पहले सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल और जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर अपना विचार साफ करे दे कि वह कांग्रेस के रुख का समर्थन करेगी या अलग लाइन लेगी? कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी चाहती है कि शिवसेना हिन्दुत्व का अपना एंजेडा भी छोड़ दे। अब देखना यह है कि कांग्रेस की यह इच्छा शिवसेना पूरी करती है या फिर कोई और समीकरण बनता है।