मिशन 2019 के तहत भाजपा और संघ की रणनीति को भांपते हुए कांग्रेस ने भी पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। इस योजना के तहत नौ अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सेवादल ने तिरंगा यात्रा निकाली थी। इस यात्रा में सेवादल के राष्ट्रीय नेतृत्व तौर पर लालजी देसाई भी शामिल थे। सेवादल के मुख्य संगठक लालजी देसाई का कहना है कि 1936 में जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महज 11 साल का था और हिंदू राष्ट्रवाद का ककहरा पढ़ रहा था, उस समय सेवादल और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने काशी में भारत माता के विशाल मंदिर निर्माण कराया था। इस भारत माता मंदिर का लोकार्पण स्वयं महात्मा गांधी ने किया था।
सेवादल के लालजी देसाई कहते हैं कि इस बार संघ और भाजपा को हिंदू-मुसलमान, श्मशान-कब्रिस्तान और दिवाली-रमजान की नीति को हम लोग सफल नहीं होने देंगे। हम वाराणसी पीएम मोदी की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ डोर टू डोर कैंपेन करेंगे। जब-जब वे जनता को भटकाने की कोशिश करेंगे सेवादल उन्हें जनता के मुद्दे पर लाने का काम करेगा। देसाई कहते हैं सेवादल बूथ स्तर तक कांग्रेस के साथ तालमेल बैठाते हुए सहयोग करेगा। साथ ही कांग्रेस की जीत को सुनिश्चित करने का काम करेगा। इसके लिए हर 10 बूथ पर सेवादल का बड़ा पदाधिकारी होगा जिसके नीचे 10 मध्य स्तर के कार्यकर्ता होंगे। उनके नीचे 10 और कार्यकर्ता होंगे। हम हर बूथ पर सेवादल का एक पिरामिडीय ढांचा तैयार कर रहे हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तीन दिवसीय ‘भविष्य का भारत’ कार्यक्रम समाप्त हो चुका है। इस कार्यक्रम के माध्यम से संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वयं इस बात से पर्दा उठा दिया कि आरएसएस एक सांस्कृतिक संगठन होने के साथ-साथ राजनीतिक संगठन भी है। कार्यक्रम के आखिरी दिन भागवत से तमाम राजनीतिक सवाल पूछे गए जिसका जवाब उन्होंने राजनीतिक तरीके से ही देना मुनासिब समझा। साथ ही संघ ने सभी को साथ लेकर चलने की नीति का खुलासा किया। इसके बाद से कांग्रेस को लगने लगा है कि इसका असर कांग्रेस के अल्पसंख्यक मतदाताओं पर भी हो सकता है। इसलिए कांग्रेस ने लंबे अरसे बाद एक बार फिर सेवादल का चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है।