जानकारी के मुताबिक, शिरोमणि अकाली दल ने विधानसभा चुनाव से अपने को अलग करने का फैसला किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नागरिकता संशोधन कानून ( CAA ) को लेकर बीजेपी का अकाली दल पर भारी दबाव था। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि सीएए पर स्टैंड बदले की बजाय हमने विधानसभा चुनाव में नहीं उतरने का फैसला किया है। दिल्ली में अकाली दल हमेशा भाजपा के साथ चुनाव लड़ता रहा है। जब हम आवाज नहीं उठा सकते हैं तो चुनाव लड़ने का कोई मकसद नहीं रह जाता है।
मीडिया से बात करते हुए मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि कोई भी अकाली दल का नेता विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा। उन्होंने यहां तक कहा कि अकाली दल का नेता निर्दलीय चुनाव भी नहीं लड़ेगा। अकाली दल के नेता ने कहा कि गठबंधन को लेकर पार्टी हाईकमान को फैसला करना है। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच सियासी नहीं सामाजिक गठबंधन है। पंजाब में शांति व भाईचारा कायम करने वाला गठबंधन है। भाजपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने को लेकर भी उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
सिरसा ने कहा कि सीएए की मांग शिअद बादल ने ही की थी, लेकिन उसमें किसी धर्म को निकालने की बात नहीं थी। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित होने वाले हिंदू, सिख, ईसाई व बौद्ध को भारत में नागरिकता देने का हम स्वागत करते हैं। इसमें मुस्लिमों को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बीजेपी नेताओं के साथ बैठक में भी उठा। लेकिन, बीजेपी नेता CAA पर अकाली दल से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कह रहे थे। लेकिन, सुखबीर सिंह बादल ने इससे इनकार कर दिया है। लिहाजा, इस मामले को लेकर दोनों के बीच गठबंधन हो गया है। हालांकि, इस पूरे मामले पर बीजेपी का अगला स्टैंड क्या होगा यह स्पष्ट नहीं हो सका है?