जयललिता के करियर में आए यह टि्वस्ट एंड टर्न
कर्नाटक हाईकोर्ट से बरी होने वाली जयललिता के करियर में पहले भी आ
चुका है ऎसा दौर
चेन्नई। आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में सोमवार को कर्नाटक हाई कोर्ट से बरी होने वाली तमिल नाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का करियर टिव्स्ट एंड टर्न से भरा है। साउथ इंडिया सिनेमा से एमजीआर की गाइडलाइंस के तहत राजनीति में कदम रखने वाली जयललिता के करियर का पहला टेस्ट तब था जब वे 1991 में पहली बार तमिल नाडु की मुख्यमंत्री बनी थीं। 1991 से 1996 का समय उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था।
पॉलिटिकल एनालिस्ट सुमंत सी रमन ने बताया, “उनके पहले कार्यकाल में ऎसी अकड़ देखने को मिली जैसी शादी में और उसके बाद होती है। यह सब जनता को बिलकुल रास नहीं आया।” जयललिता के पॉलिटिकल करियर को कर्रप्शन केस ने धक्का पहुंचाया। वर्ष 2001 में अपनी पार्टी एआईएडीएमके को जीत तक ले जाने वाली जयललिता ने इस केस में दोषी पाए जाने के कारण छह माह में ही मुख्यमंत्री की क ुर्सी छोड़ दी।
वर्ष 2002 में उन्हें इस केस से बरी कर दिया गया और उनका करियर एक बार फिर पटरी पर लौट आया। इसके बाद वर्ष 2011 में वे एक बार फिर भारी मतों से चुनाव जीतीं। जयललिता को करीब से जानने वाले कहते हैं कि वक्त के साथ साथ उनमें परिपक्वता आई है और उन्होंने खुद को जनवादी स्कीम्स लाते हुए अपनी री-ब्रांडिंग की है।
राजनीतिक विश्लेषक ग्नानि ने बतााय, “पहले उन्हें आयरल लेडी-स्वेच्छाचारी, तानाशाह के रूप में देखा जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों में उन्होंने अपनी “मां” जैसी छवि बनाई है। अब लोग उन्हें “अम्मा” कहते हैं। अम्मा कैंटीन, अम्मा वॉटर और अम्मा थिएटर्स जैसी स्कीमों ने जयललिता को लोगों के बीच पॉपुलर बनाया। जयललिता का बतौर मुख्यमंत्री तीसरा कार्यकाल पिछले साल सितंबर में तब समाप्त हो गया था, जब उन्हें 18 साल पुराने आय से ज्यादा संपत्ति रखने के मामले में दोषी करार दिया गया था। पिछली बार की तरह इस बार भी उनके करीबी ओ पनीरसेल्वम ने उनकी जगह ली।
सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए जयललिता को बरी कर दिया। इसके साथ ही अब एक बार फिर “अम्मा” राजनीति के दंगल में उतरने के लिए तैयार हैं ।
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