नई दिल्ली। केंद्र सरकार कालेधन पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी के बाद अब राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग को लेकर कानून ला सकती है। मोदी सरकार आगामी बजट सत्र में चुनाव सुधार को लेकर नए कानून के प्रस्ताव को रखेगी। पीएम मोदी इस मुद्दे को संसद के सत्र के अलावा सर्वदलीय बैठक में भी उठा सकते हैं।
बजट सत्र में चुनाव सुधार प्रस्ताव पेश करेगी सरकार
इस बार बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो जाएगा। साथ ही इस साल केंद्रीय बजट 1 फरवरी को संसद में प्रस्तुत किया जाएगा। भाजपा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पीएम मोदी ने नए साल के मौके पर दिए गए अपने भाषण में भी चुनाव सुधार के मुद्दे को उठाया था। पीएम मोदी पहले भी चुनावों में इस्तेमाल होने वाले कालेधन पर बात कर चुके हैं। चुनाव प्रक्रिया में अभी बहुत भ्रष्टाचार है। देश की लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों में कालेधन को खपाया जा रहा है। चुनाव की फंडिंग को लेकर अभी तक कोई सशक्त कानून लागू नहीं किया है।
अब कालाधन खपा नहीं सकेंगी राजनीतिक पार्टियां
चुनाव सुधार के अंतर्गत कुछ डमी पॉलिटिकल पार्टियों के रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिए गए हैं। अभी कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने ऐसी सभी राजनीतिक पार्टियों को अपनी सूची से बाहर कर दिया था जिन्हे सिर्फ कालाधन खपाने के लिए बनाया गया था। इन पार्टियों ने लंबे समय से चुनाव नहीं लड़ा है। पीएम मोदी ने हाल ही में दिए गए अपने भाषण में कहा था कि आज हमें आवश्यकता है कि सभी राजनेता और राजनैतिक दल राजनीति से ऊपर उठकर और साथ मिलकर पारदर्शिता लाएं। उसके लिए हमें सही कदम उठाने होंगे।
अज्ञात फंडिंग की सीमा भी कम हो सकती है
चुनाव आयोग ने पार्टियों की फंडिंग में हो रहे गोरखधंधे को रोकने के लिए अज्ञात सोत्रों से मिलने वाली फंडिंग की सीमा को 20 हजार रुपए से घटाकर 2000 रुपए तक करने का सुझाव दिया था। पीएम मोदी ने चुनाव आयोग के इस सुझाव का भी समर्थन किया है। सरकार राज्यों में होने वाले चुनाव की फंडिंग को लेकर भी बहस कर सकती है। एक भाजपा नेता ने बताया कि इस कानून को लागू करने से पहले पीएम मोदी को सभी पार्टियों का समर्थन लेना होगा। लोकतंत्र के लिए बेहतर होगा कि सभी पार्टियां इसके लिए अपना समर्थन दें।
नोटबंदी के बाद बेनामी संपत्ति और पॉलिटिकल फंडिंग पर लगाम
भाजपा मुख्यालय में दिवाली मिलन समारोह के दौरान पीएम मोदी ने संसाधनों का दुरुपयोग रोकने और समय की बचत के लिए विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा था। केंद्र सरकार का कहना है कि कालेधन पर सिर्फ नोटबंदी से लगाम नहीं लगाया जा सकता। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अब बेनामी संपत्ति और पॉलिटिकल फंडिग में पारदर्शिता लाने के लिए सख्त कानून बनाएगी। अभी तक सभी पार्टियां अज्ञात रूप से 20 हजार रुपए तक की आर्थिक मदद ले सकती हैं। 20 हजार रुपए तक की सीमा के अंदर पार्टियों को ये ब्यौरा नहीं देना पड़ता कि ये पैसा उनको कहां से मिला है। इस नियम का पार्टियां जमकर दुरुपयोग कर रही है। यहां तक की भाजपा और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियां भी इनकम टैक्स को अपनी आय का ब्यौरा देने से बचती हैं।
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