उन्होंने कहा कि शस्त्र और हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है और इस समझौते से उग्रवाद की बहुत बड़ी समस्या के समाधान में मदद मिलेगी। यह ऎतिहासिक समझौता नागा नेताओं के दूरदृष्टि वाले निर्णय पर आधारित है और उन्हें उम्मीद है कि यह देश भर में इस तरह की छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान में भी मार्गदर्शक बनेगा।
मोदी ने कहा कि यह समझौता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि है और जैसा कि मुईवा ने भी कहा है कि यदि महात्मा गांधी लंबे समय तक जीवित रहते तो इस समस्या का काफी पहले समाधान हो गया होता। उन्होंने लगभग दो दशक तक संघर्ष विराम पर अमल करने के लिए नागा संगठन का धन्यवाद करते हुए कहा कि इससे शांति वार्ता सफल होने का माहौल बन सका।
मुईवा ने भी सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस समझौते के बाद लंबे समय से चल रहा सशस्त्र संघर्ष रूक जाएगा। उन्होंने कहा कि नागा समुदाय प्रधानमंत्री के प्रयासों की सराहना करता है और एनएससीएन सरकार के साथ पूरा सहयोग करेगा। मुईवा ने नागा समस्या के समाधान के लिए मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि नागा समुदाय के मन में महात्मा गांधी के प्रति भी अत्यधिक सम्मान है। नागा समस्या के समाधान के लिए बातचीत के माध्यम से समय-समय पर प्रयास किए गए। इसके लिए 1997 में एनएससीएन के साथ व्यापक समाधान निकालने के नए प्रयास शुरू किए गए।
मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार के वार्ताकार ने एनएससीएन आई एम के साथ साथ अनेक नागा नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया जिनमें आदिवासी समूह, नागरिक संगठन और युवा तथा छात्र संगठन व महिला समूह शामिल हैं।
हाल ही में मणिपुर में सैनिकों पर घात लगाकर हमला करने की जिम्मेदारी लेने वाला एनएससीएन (खापलांग गुट) पहले ही अलग थलग पड़ चुका है और इस समझौते से क्षेत्र में शांति बहाली की पूरी उम्मीद है। मोदी ने समझौते पर हस्ताक्षर होने से थोड़ी देर पहले ही ट्वीट किया था कि हम कुछ देर में ऎतिहासिक क्षणों के गवाह बनने वाले हैं।