महात्मा गांधी ने राजकोट के जिस अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी, उससे चंद कदम दूर हम एक चायवाले की दुकान पर खड़े हैं। गुजराती कितने भी धंधे में व्यस्त रहते हों, लेकिन इन दिनों आप राह चलते जीएसटी की बात छेडि़ए और वे तुरंत उसमें शामिल हो जाएंगे।
राजाओं के कोट या गढ़ के नाम से जाना जाने वाला राजकोट अब उद्योग और कारोबार का गढ़ है। सरकार के रिकार्ड के मुताबिक अकेले सिर्फ राजकोट और मोरबी के दो जिलों में 44,000 लघु व मध्यम औद्योगिक इकाइयां हैं जिनमें 30 हजार करोड़ से ज्यादा का सालाना कारोबार होता है। बहुत छोटे स्तर पर चलने वाली इकाइयां तो कम से कम दो लाख हैं। देश के सेरामिक का 90 प्रतिशत उत्पादन भी मोरबी जिले में होता है।
कुछ कह रहे अच्छा तो कई परेशान
यहां की सदर बाजार इलाके की मशहूर चिक्ïकी भी पहली बार जीएसटी की वजह से कर के दायरे में आई है। चिक्की का कारोबार करने वाले परिमल पांड्या कहते हैं,जो थोड़ी-बहुत दिक्ïकतें हैं, दूर हो जाएंगी। यह देश के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन ज्यादातर कारोबारी इसे कड़वी दवा समझ कर पीने को तैयार नहीं हैं। पतंग और डोर का कारोबार करने वाले मिलन भाई कहते हैं, पतंग तो गुजरात की पहचान है। इस पर तो कभी टैक्स नहीं रहा। अब इस पर भी पांच परसेंट टैक्स लगा दिया।
यहां की सदर बाजार इलाके की मशहूर चिक्ïकी भी पहली बार जीएसटी की वजह से कर के दायरे में आई है। चिक्की का कारोबार करने वाले परिमल पांड्या कहते हैं,जो थोड़ी-बहुत दिक्ïकतें हैं, दूर हो जाएंगी। यह देश के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन ज्यादातर कारोबारी इसे कड़वी दवा समझ कर पीने को तैयार नहीं हैं। पतंग और डोर का कारोबार करने वाले मिलन भाई कहते हैं, पतंग तो गुजरात की पहचान है। इस पर तो कभी टैक्स नहीं रहा। अब इस पर भी पांच परसेंट टैक्स लगा दिया।
हजारों इकाइयां बंद होने का दावा
छोटे-मंझोले उद्योगों वाला मावडी प्लॉट इलाका भी इन दिनों चुनावी झंडे, होर्डिंग से सजा है। पिछले दिनों जीएसटी परिषद ने इसमें बदलाव किए हैं, लेकिन उनसे कारोबारी बहुत प्रभावित नहीं हैं। राजकोट से जुड़े व्यापारी बताते हैं कि सिर्फ इसी जिले में हजारों बेहद छोटी औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई। जो इकाइयां चल भी रही हैं उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ कारोबारियों में तो इतना गुस्सा है कि भले वोट न डालें, लेकिन भाजपा को न दें।
छोटे-मंझोले उद्योगों वाला मावडी प्लॉट इलाका भी इन दिनों चुनावी झंडे, होर्डिंग से सजा है। पिछले दिनों जीएसटी परिषद ने इसमें बदलाव किए हैं, लेकिन उनसे कारोबारी बहुत प्रभावित नहीं हैं। राजकोट से जुड़े व्यापारी बताते हैं कि सिर्फ इसी जिले में हजारों बेहद छोटी औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई। जो इकाइयां चल भी रही हैं उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ कारोबारियों में तो इतना गुस्सा है कि भले वोट न डालें, लेकिन भाजपा को न दें।
कई इलाकों में जीएसटी अहम मुद्दा
भाजपा के स्थानीय नेता भी इस नुकसान को महसूस कर रहे हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक नेता कहते हैं, हमारी मुश्किल तो आप समझ ही सकते हैं। जो सबसे प्रबल समर्थक थे, वेे ही इस बार पूरी तरह साथ नहीं हैं। वहीं बरासिया कहते हैं जीएसटी का असर सिर्फ राजकोट, मोरबी और सूरत तक सीमित नहीं रहेगा। अहमदाबाद, सुरेंद्रनगर, जामनगर और भावनगर भी इससे प्रभावित है।
भाजपा के स्थानीय नेता भी इस नुकसान को महसूस कर रहे हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक नेता कहते हैं, हमारी मुश्किल तो आप समझ ही सकते हैं। जो सबसे प्रबल समर्थक थे, वेे ही इस बार पूरी तरह साथ नहीं हैं। वहीं बरासिया कहते हैं जीएसटी का असर सिर्फ राजकोट, मोरबी और सूरत तक सीमित नहीं रहेगा। अहमदाबाद, सुरेंद्रनगर, जामनगर और भावनगर भी इससे प्रभावित है।