– रेगुलर वैकेंसी भरने के लिए एकसाथ चुनाव कराए जाते हैं
– आकस्मिक यानी कैजुअल वैकेंसी के लिए एक साथ चुनाव कराने की कोई बाध्यता नहीं है
– अब अदालतों के कई आदेशों और फैसलों से एक तीसरी श्रेणी स्टेट्यूटरी की सामने आई है
– आप ( गुजरात कांग्रेस ) इसकी याचिका आयोग के सामने दाखिल करें
गुजरात में राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की याचिका पर चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल किया था। इस हलफनामे में आयोग ने अलग-अलग चुनाव कराए जाने के अपने फैसले को सही बताया।
आयोग ने कहा, खाली की गई सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराना कानून के मुताबिक है। 57 साल से दिल्ली हाईकोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसलों के मुताबिक इस तरह चुनाव होते आए हैं। ऐसे होते हैं चुनाव
– कैजुअल रिक्तियों (जब उम्मीदवार लोकसभा के चयनित हो जाए, यानी बीच में ही वो राज्यसभा की सीट छोड़ दे) में अलग-अलग चुनाव कराए जाते हैं।
– रेगुलर वैकेंसीः ऐसा तब होता है जब उम्मीदवार अपना कार्यकाल पूरा कर लेता है। ऐसी स्थिति में चुनाव एक साथ कराए जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की ओऱ से गुजरात कांग्रेस की याचिका खारिज किए जाने के बाद बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है। दरअसल प्रदेश में संख्या बल के हिसाब से उम्मीदवार को 61 मतों की जरूरत होती है। चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के मुताबिक विधायक अलग-अलग वोट करेंगे। ऐसे में उन्हें दो बार वोट करने का मौका मिलेगा।
इस तरह बीजेपी विधायक जिनकी संख्या 100 से ज्यादा है, वे दो बार वोट करेंगे। ऐसे में दो बार वोट कर वे दोनों उम्मीदवारों को जितवा सकते हैं।
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वहीं दूसरी तरफ एक साथ चुनाव होते हैं तो बीजेपी के पास 100 और कांग्रेस के पास 75 सीट हैं। ऐसे में रिक्त दोनों सीटों पर एक साथ चुनाव हुए और विधायकों ने एक बार वोट दिया तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खाते में एक-एक सीट आ जाएगी। यही वजह है कि कांग्रेस एक साथ चुनाव की मांग कर रही है।
ये है पूरा मामला
लोकसभा चुनाव में जीतने की वजह से अमित शाह और स्मृति ईरानी की राज्यसभा सीटें खाली हो गई हैं। इसके बाद गुजरात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष परेशभाई धनानी ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिक दायर की, जिसमें चुनाव आयोग से दोनों सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की मांग की गई थी।