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गुरुग्राम लैंड डील: जानिए, इन 10 बातों जरिए सौदे का पूरा सच

दर्ज एफआईआर में हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डीएलएफ गुरुग्राम व स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी का भी नाम है।

Sep 02, 2018 / 01:00 pm

Dhirendra

robert vadra

गुरुग्राम लैंड डील: जानिए, इन 10 बातों जरिए सौदे का पूरा सच

नई दिल्‍ली। गुरुग्राम लैंड डील मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा पर एफआईआर दर्ज होने के बाद से कार्रवाई की तलवार लटक गई है। सीएम एमएल खट्टर का दोषियों के खिलाफ कार्रवाई वाला बयान आने के बाद से पुलिस पर इस मामले में तेजी से जांच की संभावना बढ़ गई है। यह मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण लोग भी इस डील के बारे में ज्‍यादा से ज्‍यादा जानकारी हासिल करना चाहते हैं कि आखिर इसके डील के पीछे का पूरा सच क्‍या है?
डील का इतिहास सिलसिलेवार

1. रॉबर्ट वाड्रा के स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड पर गुरुग्राम के सेक्टर 83 में 3.5 एकड़ जमीन ओंकरेश्वर प्रॉपर्टीज से वर्ष 2008 में 7.50 करोड़ रुपए में खरीदने का आरोप है। बताया जा रहा है कि वाड्रा की कंपनी ने जिस वक्त जमीन खरीदी गई उस वक्त भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा के मुख्‍यमंत्री थे और उनके प्रभाव का वाड्रा की कंपनी ने लाभ उठाया।
2. साल 2007 में मुख्यमंत्री हुड्डा के पास आवास एवं शहरी नियोजन विभाग भी था। इसका लाभ उठाते हुए स्काईलाइट ने बाद में हुड्डा के प्रभाव से कॉलोनी के विकास के लिए व्‍यावसायिक लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया।
3.यह विवाद उस समय उठ खड़ा हुआ जब वाड्रा ने इस जमीन को डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया। इतना ही नहीं नियमों को उल्लंघन कर गुरुग्राम के वजीराबाद में डीएलएफ को 350 एकड़ जमीन बेचने का भी आरोप है, जिससे इस रियल एस्टेट कंपनी को 5000 करोड़ रुपए का लाभ पहुंचा की आशंका जताई जा रही है।
4. इस मामले में अनियमितता को देखते हुए नूंह के सुरेंद्र शर्मा ने अपनी शिकायत में कहा कि 2008 में सेक्टर 83 (शिकोहपुर) में भूमि सौदे में धोखाधड़ी हुई। वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी 2007 में एक लाख रुपए से शुरू हुई थी। 2008 में स्काईलाइट ने सेक्टर 83 में आंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपए में साढ़े तीन एकड़ जमीन खरीदी। इसके लिए 7.5 करोड़ रुपए के चेक दिए गए थे, जो कभी भुनाए नहीं गए।
5. इस मामले में आरोप यह भी है कि 2008 में कॉमर्शियल कॉलोनी का लाइसेंस मिलते ही स्काईलाइट ने जमीन 58 करोड़ में डीएलएफ को बेच दी। जबकि तत्कालीन सीएम हुड्‌डा ने नियमों के उलट लाइसेंस दिया था। इतना ही नहीं कॉलोनी के लाइसेंस के लिए वित्तीय और तकनीकी क्षमताओं के क्राइटेरिया का राज्य सरकार ने आकलन ही नहीं किया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि वाड्रा और डीएलएफ के बीच सौदे के तुरंत बाद डीएलएफ को वजीराबाद (गुड़गांव) में गोल्फ कोर्स के लिए 350 एकड़ जमीन आवंटित की गई।
6. पांच साल बाद यह मामला 2013 में वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील के नाम से सामने आया। उसी समय आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने डील में बरती गई लापरवाही को देखते हुए 2013 में इस डील का म्यूटेशन रद्द कर दिया।
7. इसके बाद भाजपा नेतृत्व वाली मनोहर लाल खट्टर सरकार ने 14 मई, 2015 मे गुड़गांव के सेक्टर 83 में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा वाणिज्यिक उपनिवेशों के विकास के लिए लाइसेंस प्रदान करने की जांच करने के लिए एक सदस्यीय समिति का गठन किया था। न्यायमूर्ति एस एन ढिंगरा आयोग इसका प्रमुख बनाया गया।
8. अगस्त, 2016 में आयोग ने रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी। ऐसे में उस रिपोर्ट पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।

9. इधर शिकायत के आधार पर मामला दर्ज करने के बाद मानेसर के पुलिस उपायुक्त राजेश कुमार ने बताया कि हुड्डा, वाड्रा और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राईवेट लिमिटेड और डीएलएफ और अन्य के खिलाफ गुरुग्राम के खेडकी दौला पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। कुमार ने बताया कि नूंह निवासी सुरेंद्र शर्मा की ओर से हमें शिकायत मिली, जिसमें उन्होंने जमीन सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। उसी के आधार पर मामला दर्ज किया गया है।
10. मामला दर्ज होने के बाद रॉबर्ट वाड्रा ने भी बयान दिया है। उन्होंने इसे ध्यान भटकाने का फॉर्मूला बताया है। उन्होंने कहा कि ये चुनाव का मौसम है, तेल की कीमत बढ़ रही है। केंद्र व प्रदेश सरकार ने मेरे पुराने मुद्दे की ओर लोगों का ध्‍यान बंटाने कोशिश की है। इसमें नया कुछ नहीं है।

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