इससे पहले, उन्हें बुधवार को फोन तथा एसएमएस संदेश के जरिए हार्दिक ने बताया था कि पुलिस ने उन्हें सुरेन्द्रनगर के धांगध्रा और मालिया के बीच छोड़ दिया था। वह मुश्किल में हैं। हार्दिक की धरपकड़ के लिए हडवद में चाक चौबंद की गई सुरक्षा के बीच पुलिस ने वहां टोल नाके के पास मांगुकिया की गाड़ी को रोक कर उनसे तथा उसमे मौजूद हार्दिक के सहयोगी दिनेश पटेल से पूछताछ भी की। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया और वह संभवत: वीरमगाम के लिए रवाना हो गए थे।
इस बीच, हार्दिक ने एक स्थानीय चैनल से बातचीत में दावा किया कि उन्हें रात भर उनकी गाड़ी में रख कर इस बात की धमकी दी गई थी कि वह अपना आरक्षण आंदोलन छोड़ दें। उन्होंने कहा कि सादे वेश वाले जिन व्यक्तियों ने उन्हें पकड़ा था उनके पास रिवाल्वर था पर वह पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि वह पुलिस वाले थे अथवा नहीं।
उधर गांधीनगर रेंज के आईजी हंसमुख पटेल ने बताया कि उन्हें हार्दिक के मिलने की आधिकारिक सूचना नहीं है। उनका पता चलते ही उन्हें माननीय हाई कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा। पुलिस ने हडवद के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी थी और उस स्थान जहां पर उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस करने का दावा किया था पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही थी पर वह वहां नहीं आए।
उधर गृह राज्य मंत्री रजनी पटेल ने हार्दिक को गुपचुप ढंग से गाड़ी में कैद रखे जाने के कथित दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए गांधीनगर में पत्रकारों से कहा कि यह पूरी तरह तथ्यविहिन है। उन्होंने कहा कि कानून तोडने और राज्य की शंति भंग करने वालों के खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।
दूसरी ओर अरवल्ली के धनसुरा पुलिस द्वारा पकड़े गए हार्दिक के निकट सहयोगी चिराग पटेल और अतुल पटेल समेत 22 समर्थको को एक स्थानीय अदालत ने पांच पांच हजार के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया। हालांकि, इंटरनेट पर अफवाह फैलाने के आरोप में सूरत में पकडे गए हार्दिक के एक अन्य सहयोगी तथा सूरत में पास के संयोजक अल्पेश कथिरिया की जमानत अर्जी को वहां की एक मजिस्ट्रेटी अदालत ने खारिज कर दिया।