कांग्रेस-भाजपा ने जमकर की रैलियां तीन सप्ताह लंबे प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतिम चरण में चार दिनों में सात जनसभाएं कीं, तो उनके कैबिनेट सहयोगियों-अमित शाह और राजनाथ सिंह ने क्रमश: सात व नौ रैलियां कीं। भाजपा के विपरीत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो चुनावी रैलियों को संबोधित किया, जिसमें से एक को सोनिया गांधी को संबोधित करना था। कांग्रेस के प्रमुख जाट चेहरे भूपिंदर सिंह हुड्डा को राहुल गांधी के साथ मंच साझा करने का मौका नहीं मिला। इसके अलावा राहुल गांधी ने हुड्डा के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में चुनाव प्रचार नहीं किया।
खट्टर ने खेला राष्ट्रवादी कार्ड यह चुनाव भाजपा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के लिए लिटमस टेस्ट है, जो राज्य में ‘राम राज्य’ के सिद्धांत को शासन का आधार मानते हैं। गैर-जाट खट्टर भाजपा में 1994 से हैं और वह सुरक्षित सीट करनाल से फिर से मैदान में हैं। अपने प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने मुख्य रूप से राष्ट्रवादी कार्ड खेला, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 को रद्द करने जैसे बड़े फैसलों को उजागर किया गया है।
खट्टर सरकार की प्रमुख उपलब्धि भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देना और सरकारी नौकरियों की भर्ती में पारदर्शिता है। भगवा पार्टी ने बीते चुनाव में 47 सीटें जीती थीं और राज्य में पहली बार सरकार बनाई थी। इस बार भाजपा का लक्ष्य 75 से ज्यादा सीटें जीतने का है।
बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरा विपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक भूपेंद्र सिंह हुड्डा फिर से अपने गढ़ रोहतक जिले के गढ़ी सापला-किलोई से लड़ रहे हैं। हुड्डा का मानना है कि उनकी पार्टी राज्य में बढ़ी बेरोजगारी की वजह से सत्तारूढ़ भाजपा पर बढ़त बना सकती है, जो अनुमान के मुताबिक, 8.4 फीसदी के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 28.7 फीसदी हो गई है। हुड्डा से मुकाबले के लिए भगवा पार्टी ने आईएनएलडी से दल बदलकर आए सतीश नंदलाल को टिकट दी है, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं।