सवाल – ग्रामीण क्षेत्रो में परेशान लोगों के लिए क्या कदम उठाए जा रहे है ?
– कोरोना लॉकडाउन के चलते ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित है लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों ने कई कदम उठाए है। सरकार ने गरीबों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए खाधान्न 3 माह तक निशुल्क देने का फैसला किया है। साथ ही जनधन खातों में 500 रुपए की दो-दो क़िस्त देने का फैसला भी लिया है। इसमें से एक क़िस्त करोड़ो महिलाओं के खातों में जनधन अकाउंट के जरिए पहुंच चुकी है। इसके अलावा मनरेगा शुरू करने का फैसला लिया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को रोजगार मिलेगा। मनरेगा श्रमिकों को भुगतान भी दिया गया है और यह आगे सुचारू रूप से चले इस दृष्टि से 33 हजार करोड़ की राशि केंद्र की ओर से जारी कर दी गई है। स्वयंसेवी संस्थाओं ने कोरोना से लड़ाई में अच्छी भूमिका निभाई है। ग्रामीण क्षेत्र में करीब करीब अधिकतर कार्य सोशल डिस्टेंस की पालना के साथ करने की अनुमति लॉकडाउन-2 में दी गई है।
फसल कटाई के समय लॉक डाउन से कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा?
– अभी इस बारें में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, जितना मैं किसान की ताकत को समझता हूं। केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को देखते हुए ऐसा लगता है कि कृषि क्षेत्र को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
सवाल – कोरोना प्रभावित क्षेत्रों के उपज खरीद के लिए क्या प्रबंध किए गए हैं ?
– जो कोरोना प्रभावित क्षेत्र है, वहां पर ध्यान रखना आवश्यक है लेकिन अधिकतर ग्रामीण भारत के अधिकतर क्षेत्र कोरोना प्रभावित नहीं है। अभीतक अधिकतर शहरी क्षेत्र ही कोरोना के हॉटस्पॉट चिन्हित हुए है। खरीद के कार्य को विकेन्द्रित करने का फैसला किया गया है। जो राज्य की ओर से खरीद की तिथि घोषित होगी उसके 90 दिन तक खरीद जारी रहेगी, इसलिए किसी भी किसान को हड़बड़ाहट करने की आवश्यकता नहीं है।
सवाल – अशोक पलानिया का सवाल- दूध फल सब्जी वाले किसानों की हालत खराब है ?
– कोरोना लॉकडाउन के दौरान निश्चित रूप से आवागमन पर्याप्त मात्रा में नहीं हुआ। हालाँकि सब्जियों के मामले में इतनी कठिनाई नहीं आई है। अब आवागमन अवरुद्ध न हो इसके लिए रेल भी चलाई गई है। के लिए ट्रेन भी चलाई जा रही हैं और ट्रकों को भी अनुमति दी गई है। फलों से जुड़े किसानों के लिए एमआइएस स्किम लागू की गई है।
सवाल – जिन किसानों की फसल इस लोक डाउन की वजह से बर्बाद हुई है क्या उनके लिए कोई मुआवजे का प्लान, मनरेगा को लेकर क्या योजना है ?
– कृषि के क्षेत्र में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि किसानों को कम से कम तकलीफ उठानी पड़े। फसल कटाई से लेकर फसल खरीद तक की पर्याप्त व्यवस्था सरकार की ओर से किया जा रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए भी क़िस्त दी गई है। किसान को उसके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके इसका प्रयास किया जा रहा है। मनरेगा का कार्यलॉक डाउन में करना कठिन था लेकिन दूसरे चरण में उसकी अनुमति दे दी गई है और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के जरिए मनरेगा के कार्य जल्द प्रारंभ हो जाएंगे।
सवाल – रुपेश पारीक का सवाल – कई मंडियों में सरसों की खरीद एमएसपी से नीचे हो रही है ?
– खरीद एमएसपी पर ही हो इसके पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं, जिन जिलों में पहले 100 स्थानों पर खरीद होती थी, वहां 500 स्थानों पर खरीद केंद्र बनाए गए हैं। उपज को एमएसपी मूल्य पर ही खरीदना केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
सवाल – किसानों की आय दुगनी को लेकर क्या रोड-मैप है?
– किसान देश की अर्थव्यवस्था की मुख्य रीढ़ है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आवाहन किया था कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास करना चाहिए। इसी लक्ष्य को लेकर केंद्र राज्यों के साथ मिलकर जैविक खेती को प्रोत्साहन देते हुए दुगनी आए की दिशा में केंद्र काम कर रहा था, लेकिन कोरोना की वजह से इसमें हल्का ब्रेक लगा है। केंद्र अब दुगुनी गति से इस दिशा में कार्य करेगाा और लक्ष्य को प्राप्त करेगा।
सवाल – आदर्श क्रेडिट मामले में निवेशकों को सरकार राहत क्यों नहीं देती है
– कोई सरकार अपनी मर्जी से नहीं चलती, सरकार विधि विधान से चलती है, स्वभाविक रूप से जब ऐसी परिस्थिति खड़ी होती है तब प्रशासक नियुक्त किया जाता है। सरकार इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं निवेशकों को को उसका पैसा पूरा दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
सवाल – राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे ?
– यह संकट का दौर है, इस समय राजनीतिक बात करना उचित नहीं है लेकिन राहुल गांधी ने अपने वक्तव्य में कई ऐसी बातें कही जो राजनीती से प्रेरित थी। राहुल गांधी को सिर्फ एक सवाल का जवाब देना चाहिए पिछले 70 सालों में इन्हीं व्यवस्थाओं के लिए कांग्रेस ने क्या किया यह बता दें। जिन व्यवस्थाओं पर वे सवाल उठा रहे हैं उनको जानकारी होनी चाहिए कि महज डेढ महीने में 200 लैब बनाई गई, वो उन्हें नजर नहीं आया। इस समय लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प था। राहुल गांधी को देश की नब्ज समझनी चाहिए।
सवाल – मध्यप्रदेश में आखिर कोरोना संकट से निपटने में इतनी समस्या क्यों आ रही है ?
– मध्यप्रदेश में कोरोना से लड़ाई में सभी लोग एकजुट होकर लड़ाई लड़ रहे हैं, सभी कर्मचारी अपना जीवन संकट में डाल कर बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। सब की सराहना की जानी चाहिए। जहां तक कोरोना के सामुदायिक विस्तार का मामला है यह काफी पहले से ही फैल गया था अब सरकार ने कठोर कदम उठाए हैं और सैंपल टेस्टिंग करा रही है। मध्यप्रदेश में भी इंदौर और भोपाल ही ऐसे क्षेत्र हैं, जहां ज्यादा संक्रमित मरीज पाए गए हैं, बाकी अन्य क्षेत्र में सामान्य स्थिति है।
सवाल – कोरोनावायरस में जमातियों की एक भूमिका सामने आई है इसको कैसे देखते हैं ?
– ऐसी स्थिति में इस प्रकार के लोगों से आग्रह करना चाहता हूं कि कोरोनावायरस संकट को दृष्टिगत रखते हुए जो लॉकडाउन के निर्देश हैं, उनका सबको पालन करना चाहिए। अगर कोई संक्रमित हैं तो उसे जो हेल्थ सर्विस से एडवाइज कर रही हैं उसका पालन करना चाहिए, इससे उनका जीवन भी बचेगा और उनके परिवार का जीवन भी बचेगा। सभी लोगों को हेल्थ सर्विसेज के संपर्क में आना चाहिए, ना भागना चाहिए, न छुपना चाहिए।
सवाल – श्रमिक संगठन ने देश में 40 करोड़ रोजगार संकट में होने की संभावना जताई है ?
– लोक डाउन के चलते निश्चित रूप से कामकाज बंद हुआ है इससे बड़ी संख्या में लोगों के पास रोजगार नहीं है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की ओर से वैकल्पिक उपाय किए जा रहे हैं। लॉकडाउन के दूसरे चरण में अधिकतर कारखानों को खोलने की अनुमति दी गई है, जिससे कि रोजगार का संकट खड़ा ना हो और अन्य उत्पादन भी प्रभावित ना हो।
सवाल – प्रवासी मजदूरों में विश्वास नहीं बना पाई सरकार, क्या इसको लेकर राज्य गंभीर नहीं है ?
– लॉकडाउन के वक्त कई लोग अपने घर पहुंच गए, लेकिन कई लोग रास्ते में फंस गए। जहां रास्ते में श्रमिक रुके हैं वहां उनके रुकने, इलाज, खाने की पीने की व्यवस्था राज्य सरकार, जिला प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से की गई है। जब कोई व्यक्ति घर से बाहर होता है तो उसके मन में एक ही बात होती है कि वह जल्द से जल्द घर पहुंचे यह इच्छा होना स्वभाविक है। इस समय जो जहां हैं वहीं रहें और कोई परेशानी हो तो सरकार को सूचना दें। मुंबई में हाल ही में जो एकत्रीकरण था वो घर जाने वाले मजदूरों का नहीं था।
सवाल – किसानों को बिजली बिल माफ करने के बारे में सरकार सोच रही है क्या?
– दो फैसले सरकार ने किए है, जिन किसानों के पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं है उन्हें केसीसी दिलवाने की व्यवस्था की जा रही है। दूसरा फसल के लिए जो किसान ऋण लेते थे वह 31 मार्च तक जमा करते थे तो उसका ब्याज 4 फीसदी ही चार्ज किया जाता था। इस अवधि को बढ़ाकर अब 31 मई कर दिया गया है।
मोहनलाल का सवाल, क्या सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की और बढ़ेगी ?
– आपको स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए, क्योंकि 201 रिकमेंडेशन में से 200 को मोदी सरकार ने स्वीकार कर उसपर कार्य करना प्रारम्भ कर दिया है।
सवाल – ग्रामीण विकास के लिए क्या योजना है ?
– ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका का सबसे बड़ा साधन स्वयंसेवी संस्थाएं है, देश में 63 लाख स्वयंसहायता समूह मजबूती से कार्य कर रही हैं। इससे करोड़ों महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इन्हें अब 20 लाख तक का ऋण देने की अनुमति दी गई है, पहले 10 लाख तक की सुविधा थी। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के जल्द क्रियान्वयन के आदेश दिए गए है इससे ग्रामीण विकास बढ़ेगा और रोजगार भी बढ़ेगा। मनरेगा और पीएम आवास योजना से आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
सवाल – क्या अब विकास शहरों की बजाए ग्रामीण क्षेत्र में देखने को मिलेगा ?
– भारत शुरू से ग्रामीण प्रधान देश रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र को पूर्ववर्ती सरकारों ने प्राथमिकता नहीं दी। आज के समय में किसी भी एक पक्ष को नकारा नहीं जा सकता। आर्थिक दृष्टि से शहरों और गांव दोनों की अपनी-अपनी भूमिका है, लेकिन पलायन ना हो यह सुनिश्चित करने की दिशा में केंद्र और राज्य मिलकर काम करेंगे।
सवाल – पुनीत सचदेवा का सवाल, जो सोसाइटी चीटिंग कर रही है उन पर कार्रवाई में देरी क्यों हो रही है ?
– कोऑपरेटिव सोसायटी चीटिंग कर कार्य करते है और उसकी शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है। यह सोसाइटी केंद्र और राज्य में बंटी हुई है। जहां भी इस संबंधित शिकायत आती है उस पर कार्रवाई की जाती है। सरकार की प्राथमिकता है कि हितग्राही का संरक्षण होना चाहिए।
सवाल – नौकरियों को लेकर भय का माहौल बन रहा है इस पर सरकार क्या विजन बना रही है ?
– कोरोना संकट से लोगों को डरना नहीं चाहिए, ऐसे संकट मनुष्य के जीवन में कभी-कभी आते हैं, हम सभी में जूझने का माद्दा होना चाहिए। भारत दुगनी तेज गति से अपने कदम आगे बढ़ाएगा यह सब को यह विश्वास रखना चाहिए कि संकट हारेगा और देश जीतेगा। वर्तमान परिस्थितियों में जिस व्यक्ति के हाथ में हुनर है उसे रोजगार जल्द मिलता है। अंग्रेज इस देश में ऐसा कल्चर छोड़ गए कि सरकारी नौकरी को ही रोजगार माना जाने लगा था जबकि ऐसा नहीं था। इसलिए सरकार ने इसके लिए स्किल इंडिया और मेक इन इण्डिया को प्राथमिकता देने का फैसला किया है।
सवाल – नागु सिंह चौहान का सवाल – गेहूं खरीद का जो पैसा अकाउंट में आ रहा है उसे बैंक केसीसी का बकाया काट ले रही है।
– फसल खरीदी का पैसा बैंक में जाएगा, निश्चित रूप से ऐसी बात सामने आई होगी, बैंक अपना बकाया पैसा ही काट रहा होगा।