मैसूर में बृहस्पतिवार को कुमारस्वामी ने कहा कि पीएम मोदी बेंगलूरु यह संदेश देने पहुंचे थे कि वह खुद चंद्रयान-2 की लैंडिंग करवा रहे हैं। वह (पीएम मोदी) केवल विज्ञापन (प्रचार) के लिए यहां पर आए थे।
चंद्रयान-2: जानिए किस तरह विक्रम लैंडर से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है इसरो कुमारस्वामी यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “वैज्ञानिकों ने इसके लिए 10-12 वर्षों तक कठिन मेहनत की। वर्ष 2008 में ही कैबिनेट ने चंद्रयान-2 के लिए स्वीकृति दे दी थी। वह बेंगलूरु इसलिए पहुंचे जैसे लगता है कि वही चंद्रयान-2 उड़ा रहे थे।”
कुमारस्वामी ने आगे कहा, “शायद जिस वक्त उन्होंने इसरो में कदम रखा वह वैज्ञानिकों के लिए सही नहीं था। जैसे ही उन्होंने (पीएम मोदी) इसरो मुख्ययालय में कदम रखा, मुझे लगता है यह वैज्ञानिकों के लिए बदकिस्मती बन गया।”
गौरतलब है कि बीते 7 सितंबर की रात चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर लैंडिंग करनी थी। लेकिन सतह से केवल 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद इसरो का इससे संपर्क खत्म हो गया।
ब्रह्मांड में Earth 2.0 मौजूद! पहली बार एक ग्रह पर मिला पानी, हाइड्रोजन और हीलियम पीएम मोदी इस दौरान देश के तमाम स्कूलों के करीब 65 बच्चों के साथ इसरो में स्वयं मौजूद थे और हर पल पर नजर रख रहे थे। लेकिन लैंडिंग से कुछ वक्त पहले ही इसरो का लैंडर से संर्पक टूट जाने से वैज्ञानिकों को काफी निराशा हाथ लगी।
हालांकि पीएम मोदी ने मौके की नजाकत भांपते हुए वैज्ञानिकों को इस प्रयास के लिए बधाई दी और कहा कि विज्ञान में कभी असफल नहीं होते हैं, बल्कि कुछ नया सीखते हैं। उन्होंने इसरो प्रमुख के सिवन को गले लगाया और कंधे पर हाथ धरकर उनकी हौसलाफजाई करते हुए कहा कि वह हमेशा उनके साथ हैं।
चंद्रयान-2: मिशन मून में विक्रम लैंडर खराब होने के कारण इसके बाद इसरो के ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर की लोकेशन पता चल गई और वैज्ञानिक लैंडर से संपर्क बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।