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भोपाल

2014 में मोदी के अलावा ये नेता भी था प्रधानमंत्री पद का दावेदार, आडवाणी को दिया था चुनाव लड़ने का न्यौता

2014 में मोदी के अलावा ये नेता भी था प्रधानमंत्री पद का दावेदार, आडवाणी को दिया था चुनाव लड़ने का न्यौता

भोपालJan 14, 2019 / 12:33 pm

shailendra tiwari

modi

2014 में मोदी के अलावा ये नेता भी था प्रधानमंत्री पद का दावेदार, आडवाणी को दिया था चुनाव लड़ने का न्यौता

भोपाल. 15 सालों तक मध्यप्रदेश की सत्ता में रहने के बाद इस बार भाजपा की हार हुई है। हालांकि लोगों का कहना है कि ये भाजपा की हार है कांग्रेस की जीत नहीं क्योंकि अगर कांग्रेस की जीत होती तो उसे पूर्ण बहुमत मिलता पर मध्यप्रदेश में इस बार किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है जिसका सीधा मकसद है मध्यप्रदेश में भाजपा की हार तो हुई है पर कांग्रेस की जीत नहीं। इस बार के बाद मध्यप्रदेश के पूर्ण सीएम शिवराज सिंह चौहान को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। शिवराज के उपाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर कुछ जानकारों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर किया गया है। जबिक कुछ जानकारों का कहना है कि शिवराज को मध्यप्रदेश से कभी अलग नहीं किया जा सका है क्योंकि मध्यप्रदेश में भाजपा को जो 109 सीटें मिली हैं वो सही मायने में शिवराज की लोकप्रियता की सीटें हैं।
shivraj singh
आडवाणी के करीबी थे शिवराज सिंह

बाबूलाल गौर के बाद 2005 में शिवराज सिंह को मध्यप्रदेश का सीएम नियुक्त किया गया। शिवराज सिंह तीन बार मध्यप्रदेश के सीएम रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को माना जाता था। शिवराज सिंह चौहान नरेन्द्र मोदी की तरह पिछड़ा समुदाय से आते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के समय़ भी शिवराज सिंह चौहान आडवाणी खेमे के थे। लोकसभा चुनाव 2014 से पहले नरेन्द्र मोदी की रैली भापाल में थी। इस रैली में भाजपा के कद्दावर नेता मौजूद थे। उस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने लालकृष्ण आडवाणी को भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ने का न्यौता दिया था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आडवाणी खेमे की तरफ से नरेंद्र मोदी के खिलाफ शिवराज सिंह चौहान को लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल किया गया था। कई ऐसी खबरें भी प्रचारित की गई थी कि लालकृष्ण आडवाणी चाहते थे कि उनकी जगह शिवराज सिंह को पीएम का उम्मीदवार घोषित कर दिया जाए।
भाजपा ने लिया चौंकाने वाला खुलासा
11-12 जनवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकरिणी की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक के ठीक पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया और छत्तीसगढ़ की पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह को पार्टी का नया उपाध्यक्ष नियुक्त किया। बीजेपी आलाकमान की तरफ से उठाए गए इस कदम को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही है कि लोकसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान को उपाध्यक्ष क्यों नियुक्त किया गया है। जबकि मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के करीबी आदमी माने जाते हैं।
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इसलिए नेता प्रतिपक्ष नहीं बने शिवराज
माना जा रहा था कि मध्यप्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद , भाजपा शिवराज सिंह चौहान को नेता प्रतिपक्ष बना सकती है। पर ऐसा नहीं हुआ। हालांकि शिवराज सिंह चौहान ने हार के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि वह केन्द्रीय राजनीति में नहीं जाएंगे मध्यप्रदेश के लिए ही जीएंगे और मरेंगे। इसके बाद भी शिवराज सिंह चौहान को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया गया। माना जा रहा था कि आलाकमान प्रदेश में सवर्णों की नाराजगी दूर करने के लिए ऐसा कदम उठा सकती है। इसी कारण से शिवराज को दरकिनार कर भाजपा ने पार्टी के वरिष्ठ नेता गोफाल भार्गव को मध्यप्रदेश का नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया था। गोपाल भार्गव के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद से ही यह माना जाने लगा था कि मध्यप्रदेश में अब भाजपा ने शिवराज के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

हार के बाद बहुत सक्रिय थे शिवराज
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में हार के बाद शिवराज सिंह चौहान अतिसक्रिय दिखे। शिवराज सिंह चौहान सोशल मीडिया में भी खूब सक्रिय दिखे उसके साथ ही उन्होंने क्षेत्रों का दौरा शुरू किया। सोशल मीडिया में पोस्ट की। कभी मोटरसाइकिल में घूमे तो कभी ट्रेन में, सड़क पर ही ‘भांजों’ का जन्मदिन मनाया तो कभी रैन बसेरों का भी दौरा किया। प्रदेश में पहली तारीख को वंदेमातरम नहीं होने पर उन्होंने शिवराज सरकार पर जमकर हमला बोला और मत्रालय के सामने राष्ट्रगीत का गायन किया। शिवराज ने मध्यप्रदेश में हार के बाद भी ‘आभार यात्रा’ निकालने की बात कही। शिवराज इस यात्रा के सहारे प्रदेश में एक बार फिर से अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते थे पर आलाकमान ने शिवराज सिंह की आभार यात्रा को ठंडे विस्तर में डाल दिया। जानकारों का कहना है कि शिवराज सिंह की आभार यात्रा को शुरू करने की अनुमति नहीं देकर यह संकेत दिया था कि अब शिवराज को मध्यप्रदेश से बाहर निकला होगा।
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