निकाय चुनाव में मतदान को देखते हुए दक्षिण कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट को बंद कर दिया गया। जबकि अन्य इलाकों में इंटरनेट की स्पीड को 2G तक सीमित कर दिया गया है। प्रशासन की ओर ये यह कदम सोशल मीडिया के जरिए दुष्प्रचार और हिंसा की आशंका के मद्देनजर उठाया गया।
वोटिंग के दौरान कोई दिक्कत ना हो इसको देखते हुए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता मीरवाइज़ उमर फारूक को नज़रबंद कर लिया गया। यासीन मलिक और सैयद अली शाह गिलानी को भी कुछ दिनों पहले से ही नजरबंद हैं।
गांधी नगर, आर.एस.पुरा, अरनिया, जुरियां, खौर, अखनूर, बिश्नाह, नौशेरा, सुरंकोट, कलाकोट और अन्य जगहों पर मतदान करने के लिए उत्साहित मतदाताओं की भीड़ लाइन में लगी है। जम्मू में दोपहर एक बजे तक 45 फीसदी मतदान हुआ, राजौरी में 75 फीसदी, पुंछ 65 फीसदी वोटिंग हुई है।
कश्मीर में नजारा बिल्कुल इसके उलट देखने को मिला क्योंकि निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान दो प्रमुख दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा किए गए बहिष्कार के बीच हुआ है। एक मतदान अधिकारी ने बताया कि बारामूला नगर परिषद के लिए पहले दो घंटों में केवल 218 वोट पड़े। बडगाम में एक नगरपालिका वार्ड में सुबह नौ बजे तक सिर्फ चार वोट पड़े। बांदीपोरा जिले के एक मतदान केंद्र में आठ वोट डाले गए।
स्थानीय निकाय चुनाव की वोटिंग के दौरान बांदीपोरा में एक पोलिंग बूथ पर पत्थरबाजी हुई.।यहां प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंके। इस घटना में भाजपा प्रत्याशी आदिल अहमद बहरू घायल हो गए हैं। वह बांदीपोरा के वार्ड 15 से चुनाव लड़ रहे हैं।
सोमवार को जिन जिलों में वोटिंग हो रही है उनमें अनंतनाग, बडगाम, बांदीपोरा, बारामूला, जम्मू , करगिल, कुपवाड़ा, लेह, पुंछ, राजौरी, श्रीनगर शामिल हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बहिष्कार की वजह से कई जगहों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पहले ही जीत दर्ज कर चुके हैं।
किसी भी अनहोनी को टालने के लिए मतदान से पूर्व रविवार को भी सुरक्षाबलों ने मतदान वाले क्षेत्र के आस-पास सर्च ऑपरेशन चलाया था। सुरक्षाबलों की तरफ से कुल 6 गांवों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया था। इन गांवों में आतंकियों के पहुंचने की सूचना सेना और खूफिया एजेंट को मिली थी।