इससे पहले नवंबर में भी सिब्बल ने मोदी सरकार पर उस समय निशाना साधा था जब राम मंदिर के मुद्दे पर कपिल सिब्बल को भाजपा नेता और हिंदू संगठनों से निशाने पर लेकर विलेन साबित करने की कोशिश की थी। दो महीने पहले उन्होंने कहा था कि हम पीएम से पूछना चाहते हैं कि क्या कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट में किसी सुनवाई को रोक सकती है? यह सुप्रीम कोर्ट के प्रति मानहानि का मामला है। क्या मोदी सरकार ये कहना चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट किसी के राजनीतिक दबाव में आ सकती है? ये शर्मनाक बात है। पीएम को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। बता दें कि पीएम मोदी ने राजस्थान के अलवर में एक चुनावी सभा में ये दावा किया था कि कपिल सिब्बल ने एक नया खेल खेला है। कांग्रेस के नेता सुप्रीम कोर्ट को कह रहे हैं कि 2019 तक केस मत चलाओ क्योंकि 2019 में चुनाव है।
दूसरी तरफ केंद्रीय जांच एजेंसी के इस ऐक्शन पर पलटवार करते हुए अखिलेश ने कहा है कि हम गठबंधन कर सकते हैं। जनता के बीच जा सकते हैं। जिन्हें रोकना है उनके पास सीबीआई है। इस एजेंसी को जो करना करे। पीएम मोदी की इस नीति से साफ है कि सपा-बसपा गठबंधन की सूचना भाजपा व उनकी सरकार परेशान है।