scriptकरुणानिधि की विरासत को लेकर आठ साल से जारी है अलागिरी-स्‍टालिन में शह और मात का खेल | Karunanidhi legacy fight continues eight years between Alagiri-Stalin | Patrika News
राजनीति

करुणानिधि की विरासत को लेकर आठ साल से जारी है अलागिरी-स्‍टालिन में शह और मात का खेल

बदले हालात में अहम बात ये है कि स्‍टालिन के सिर पर अब करुणानिधि का हाथ नहीं है।

नई दिल्लीAug 14, 2018 / 01:09 pm

Dhirendra

tamilnadu

करुणानिधि की विरासत को लेकर आठ साल से जारी है अलागिरी-स्‍टालिन में शह और मात का खेल

नई दिल्‍ली। दक्षिण भारतीय राजनीति के कलैगनार व तमिलनाडु की राजनीति के पुरोधा अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनकी विरासत पर कब्‍जे को लेकर दोनों बेटे अलागिरी और स्‍टालिन के बीच सत्‍ता का संघर्ष पहले की तरह जारी है। पार्टी पर कब्‍जे को लेकर यह संघर्ष कम होने के बजाय और तेज हो गया है। इस बात को लेकर चेन्‍नई में आज पार्टी कार्यकारिणी की आपात बैठक जारी है। इस बैठक में करुणानिधि के उत्‍तराधिकार को लेकर निर्णय होना है। इस बात को लेकर दोनों आमने सामने हैं। हालांकि सबको पता है कि स्‍टालिन अलागिरी को मात दे देंगे, लेकिन अहम बात ये है कि उनके सिर पर अब कलैगनार का हाथ नहीं है।
2010 में खुलकर आया मतभेद
सत्‍ता की बागडोर पर पकड़ को लेकर दोनों के बीच संघर्ष 2010 में पहली बार सभी के सामने खुलकर आया था। उसी वर्ष एम करुणानिधि ने इंटरनेशनल तमिल मीट आयोजित की थी। पार्टी में सम्मान न मिलने की वजह बताकर अलागिरि ने इस मीट का बायकॉट किया और उनके समर्थकों ने मीट में नारेबाजी की। सियासी खींचतान को लेकर 2013 में दोनों भाइयों के बीच बात और खराब हो गई। उस समय अलागिरि चाहते थे कि डीएमके केंद्र की सरकार में यूपीए के साथ बनी रहे। जबकि स्टालिन चाहते थे कि करुणानिधि गठबंधन तोड़ लें।
करुणानिधि ने पार्टी से निकाल दिया था
चार पहले एक साक्षात्‍कार में कलैगनार यानी एम करुणानिधि ने कहा था कि 24 जनवरी, 2014 को अलागिरि मेरे पास आया और स्टालिन की शिकायत करने लगा। उसके शब्दों से मुझे बुरा लगा। वो कहने लगा कि स्टालिन तीन महीने में मर जाएगा। कोई पिता अपने बेटे के लिए ऐसे शब्द बर्दाश्त नहीं कर सकता। इस प्रकरण के बाद अलागिरि को पार्टी से निकाल दिया गया और तब से वो लो-प्रोफाइल में चल रहे हैं।
आरोप-प्रत्‍यारोप का सिलसिला जारी है
अलागिरि को पार्टी से निकालने के बाद भी दोनों भाइयों में रिश्ते ठीक नहीं हुए हैं। दिसंबर, 2017 में अलागिरि ने बयान दिया कि स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके स्थानीय चुनाव भी जीत नहीं पाएगी। वहीं फरवरी 2018 में जब अलागिरि से स्टालिन के बेटे उदयनिधि के सियासत में आने पर सवाल पूछा गया, तो अलागिरि ने कहा कि राजनीति तो गटर है। इसमें कोई भी आ सकता है। मजे की बात ये है कि अब करुणानिधि का निधन हो चुका है। इसलिए अब सत्‍ता संघर्ष और तेज हो गया है। अब यह संघर्ष किसी भी हद तक जा सकता है। ऐसा इसलिए कि अलागिरी ने सात अगस्‍त को ही स्‍पष्‍ट कर दिया था कि पार्टी के अधिकांश मेरे साथ हैं।
छत्तीस का आंकड़ा
आपको बता दें कि डीएमके मुखिया करुणानिधि के अपनी दूसरी पत्नी दयालु अम्मल से दो बेटे हुए- बड़े का नाम अलागिरि है और छोटे का स्टालिन। दोनों की परवरिश सियासी वातावरण में हुई। सियासत में आने के बाद से इनके रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे। पार्टी में मजबूत पकड़ को लेकर दोनों में हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा। यहां भी लालू के परिवार जैसा हाल है कि छोटा बेटा राजनीतिक रूप से ज्‍यादा सक्रिय है, जबकि बड़ा वाला पिता, पार्टी और जनता के बीच जगह बनाने को लेकर संघर्ष कर रहा है।

Home / Political / करुणानिधि की विरासत को लेकर आठ साल से जारी है अलागिरी-स्‍टालिन में शह और मात का खेल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो