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कावेरी जल विवाद : स्टालिन ने सरकार को बताया मोदी का गुलाम , 5000 लोग प्रदर्शन में शामिल

विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार किसानों की भलाई के बारे में नहीं सोच रही। उसे कर्नाटक में होने वाले चुनाव को लेकर वोटबैंक की ज्यादा परवाह है।

नई दिल्लीApr 04, 2018 / 03:01 pm

Manoj Sharma

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नई दिल्ली। चेन्नई से तीन सौ किलोमीटर दूर त्रिची में बुधवार को कावेरी जल विवाद को लेकर करीब 5000 लोगों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान हाल ही में बनी एएमएमके पार्टी के नेता पी आयाकानू और निर्दलीय पार्टी से विधायक टीटीवी दिनाकरन ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इससे पहले मंगलवार को तमिलनाडु में विभिन्न विपक्षी पार्टियों के प्रमुख प्रदर्शन में शामिल हुए। उनका कहना था कि बीजेपी सरकार इस समस्या को लेकर कुछ भी नहीं कर रही है। राज्य सरकार ने अभी तक कावेरी वाटर मैनेजमेंट बोर्ड का गठन नहीं किया है। जिससे इस समस्या का हल नहीं निकल पा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार किसानों की भलाई के बारे में नहीं सोच रही है। उसे कर्नाटक में होने वाले चुनाव को लेकर वोटबैंक की ज्यादा परवाह है।
कई प्रदर्शकारी गिरफ्तार

त्रिची में प्रदर्शन के दौरान दिनाकरण के साथ 100 से अधिक लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस कस्टडी में प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे डीएमके के नेता एमके स्टालिन ने राज्य में चल रही पलानीस्वामी सरकार को बीजेपी का गुलाम बताया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार फरवरी 2016 के फैसले को लागू करवाने में नाकाम रही है। राज्य सरकार भाजपा पर दबाव बनाने की बजाय अपनी गद्दी को बचाने में लगी है। इस दौरान सीएम के पलानीस्वामी और डिप्टी सीएम ओ पन्नीरसेल्वम खुद भूख हड़ताल में शामिल हुए। इसके साथ ही एआईएडीएमके समर्थकों ने ट्रेनों को रोका और व्यापारियों ने दुकानें बंद रखीं।
क्या है विवाद
दशकों से चले आ रहे कावेरी जल विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि नदी के पानी पर किसी भी राज्य का मालिकाना हक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल के फैसले के मुताबिक, तमिलनाडु को जो पानी मिलना था, उसमें कटौती की थी तो बेंगलुरु की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक को मिलने वाले पानी की मात्रा में 14.75 टीएमसी फीट का इजाफा किया था। कोर्ट ने कहा था कि कावेरी के पानी के मामले में उसका फैसला अगले 15 सालों के लिए लागू रहेगा।

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