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भारत जापान संबंधों के पीछे क्या है राज, एक नजर में जानिए

जापान की तकनीकी को पूरा विश्व लोहा मानता है। अपनी टेक्नॉलोजी के दम पर ही पूरी दुनिया में छाई हुई है।

नई दिल्लीSep 13, 2017 / 06:19 am

Prashant Jha

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नई दिल्ली: हमेशा प्राकृतिक आपदा से घिरे होने के बावाजूद जापान दुनिया की आर्थिक महाशक्ति वाला देश है। जापान के पास किसी प्रकार के प्राकृतिक संसाधन नहीं है और वे प्रतिवर्ष सैंकड़ों भूकंप भी झेलते हैं, किन्तु उसके बाद भी जापान दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक जापान में हर साल लगभग 1500 भूकंप आते हैं। यानी हर दिन में चार बार । साल 2011 में जापान में भूकंप आया था वह आज तक का सबसे तेज भूकंप था। फिर वहां के लोग आपदाओं से घबराते नहीं। उसका मुकबला करते हैं। कहा जाता कि जापान के लोग काफी मेहनती होते हैं। इस देश का नाम कुछ भी नया करने में सबसे आगे रहता हैं जापान की तकनीकी को पूरा विश्व लोहा मानता है। अपनी टेक्नॉलोजी के दम पर ही पूरी दुनिया में छाई हुई है। जापान दुनिया का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माता वाला देश हैं। वहीं भारत की बात की जाए तो तकनीकी रूप से विकसित देशों में भारत का छठवां स्‍थान है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा आईटी हब है। आईटी और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत ने काफी तरक्‍की की है।

मोदी शिंजो की कैमेस्ट्री
प्रधानमंत्री मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बीच की कैमेस्ट्री जबरदस्त है। 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो पड़ोसी देशों के अलावा पहली बार किसी बड़े देश गए थे तो वह जापान था। जापान में पीएम मोदी ने जापान और भारत की राजनीतिक स्थिरता पर बोलते हुए कहा था कि तीस दशक बाद दोनों देशों में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा देश है। 2020 तक भारत बड़ी भूमिका निभा सकता है। ऐसे में जापान के साथ स्किल डेवलपमेंट, डिसिपिल्न रिसर्च समेत कई मुद्दों पर मिलकर आगे बढ़ा जा सकता है। पीएम मोदी ने 21वीं सदी की चर्चा करते हुए कहा था कि इस सदी का महानायक अगर बन सकता है तो वह भारत और जापान है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे बुधवार को एक बार फिर भारत दौरे पर आ रहे हैं। इससे पहले शिंजे आबे 2015 में भारत दौरा कर चुके हैं। पीएम मोदी दिसंबर 2015 में शिंजे आबे के साथ बनारस में गंगा आरती भी कर चुके हैं। एक बार फिर सितंबर 2017 में शिंजे आबे को गुजरात में आगवानी करने जा रहे हैं।

भारत-जापान के बीच संबंध?
– छठी शताब्दी से ही बौद्ध धर्म की वजह से भारत-जापान के रिश्ते अच्छे हैं। दोनों देशों के इतिहास काफी पुराने हैं। दोनों देशों के बीच रिश्ते 1949 से शुरू हुए। 1952 से दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक रिलेशंस शुरू हुए जो आजतक चल रहे हैं। और 2014 में बीजेपी सरकार बनने के बाद भारत जापान के बीच संबंध और मजबूत होते गए। एशिया महादेश में जापान और भारत के बीच घनिष्ठ संबंध दोनों देशों के लंबे इतिहास की गहराई से जुड़ा है। दोनों देश लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता, कानून की सर्वोच्चता, मानवाधिकार और वैश्विक शांति जैसे अहम मूल्यों को साझा करता आ रहा है। जापान भारत को हर क्षेत्र में मदद करता आ रहा है। वह चाहे तकनीकी, ऊर्जा, कृषि हो रक्षा उत्पादन और असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।

हाई स्पीड ट्रेन पर समझौता

2014 में दिल्ली के हैदराबाद हाउस में भारत और जापान के बीच बुलेट ट्रेन से लेकर आर्थिक सहयोग और रक्षा क्षेत्र संबंधी कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलेगी। इसके तहत बुलेट ट्रेन 160 साल पुरानी भारतीय रेल में नई क्रांति लाएगी। 98 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी। जिसपर जापान महज 0.1 फीसदी की रेट पर 50 साल के लिए करीब 88 हजार करोड़ रुपए का कर्ज देगा। 15 साल के बाद कर्ज वापसी की प्रक्रिया शुरू होगी। मेक इन इंडिया के तहत देश में सस्ती बुलेट ट्रेनें बनेंगी। इससे भारत के लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। 

बनारस को क्योटा बनाने पर सहमति
अपनी बेहतरीन तकनीक के लिए दुनियाभर में मशहूर जापान ने ऐलान किया है कि वह विश्व के प्राचीनतम शहरों में शुमार बनारस को स्मार्ट सिटी बनाने में मदद करेगा। दरअसल जापान का ऐतिहासिक शहर क्योटो की तर्ज पर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को बनाया जाएगा। 2014 में पीएम मोदी की जापान यात्रा के दौरान इस समझौते की नींव पड़ी थी।भारत और जापान ने क्योटो-वाराणसी पार्टनर सिटी एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया था।
डोकलाम पर भारत को जापान का समर्थन

भारत चीन के बीच डोकलाम विवाद पर जापान ने भारत और भूटान की स्थिति का समर्थन किया है। जापानी एंबेसडर केनजी हिरामत्सु ने डोकलाम पर जापान की स्थिति के बारे में भारत को मदद करने का ऐलान किया था विदेश मंत्री ने अगस्त के पहले हफ्ते में भूटानी प्रधानमंत्री से भी मिलकर जापानी सपोर्ट का भरोसा दिया है।

भारत और जापान पर एक नजर

जापान दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर, चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक कॉरिडोर और मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे जैसी अनेक विशाल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में मदद कर रहा है।

– रक्षा उत्पादन और असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। जापान के साथ भारत का सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट है। 

बीते 10 साल से भारत में जापान से फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) छह गुना बढ़ा है। जापान भारत में तीसरा बड़ा इन्वेस्टर है।
2016-17 में जापान का भारत में इन्वेस्टमेंट 4.7 अरब डॉलर था। इसमें से केवल 3.3 अरब डॉलर का निवेश गुजरात में था। भारत में जापान की 1200 कंपनियां हैं।

दोनों देशों के बीच वर्ष 2011 में व्यापक मुक्त व्यापार समझौता लागू हो चुका है।
जापान भारत के बीच विमान खरीदने को लेकर भी हस्ताक्षर हुए हैं। 12 यूएस-2 विमानों की खरीद को मंज़ूरी देगा।

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