एक नजर डालते हैं सीटों के आंकड़ों पर- कर्नाटक में बेल्लारी, शिमोगा और मांड्या लोकसभा सीटों के नतीजे आए हैं। इनमें से बेल्लारी, शिमोगा सीट बीजेपी के कब्जे में थी। जबकि मांड्या सीट जेडीएस के पास थी। लेकिन, भाजपा केवल शिमोगा सीट बचा पाई। इस सीट पर बीएस येदियुरप्पा बेटे बीवाई राघवेंद्र येदियुरप्पा ने जीत हासिल की है। लेकिन, 2014 लोकसभा चुनाव के बाद 30 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, जिसमें 20 सीटों पर एनडीए को हार का सामना करना पड़ा है।
साल 2014 में जिन पांच लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें वडोदरा (भाजपा की सीट), बीड (भाजपा की सीट), मैनपुरी (सपा की सीट), मेडक (टीआरएस की सीट) और कंधमाल (बीजेडी की सीट) शामिल हैं। इन सभी सीटों पर पार्टियों ने दोबारा कब्जा जमा लिया।
वहीं, साल 2015 में जिन तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें रतलाम (भाजपा की सीट), बनगांव (टीएमसी की सीट) और वारंगल (टीआरएस की सीट) शामिल हैं। रतलाम में भाजपा को हार मिली और यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई।
साल 2016 में जिन पांच लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें तुरा (एनसीपी की सीट), शहडोल (भाजपा की सीट), तमलुक (टीएमसी की सीट), कूचबिहार (टीएमसी की सीट), लखीमपुर (भाजपा की सीट) शामिल हैं। इन सभी सीटों पर पार्टियों ने दोबारा कब्जा जमा लिया।
वहीं, साल 2017 में जिन चार लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें गुरदासपुर (भाजपा की सीट), अमृतसर (कांग्रेस की सीट), श्रीनगर (पीडीपी की सीट), मलप्पुरम (आईयूएमएल की सीट) शामिल हैं। गुरुदासपुर पर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया। श्रीनगर की सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के कब्जे में चली गई।
सबसे ज्यादा साल 2018 में उपचुनाव हुए। 2018 में जिन दस सीटों पर उपचुनाव हुए, कैराना (भाजपा की सीट), पालघर (भाजपा की सीट), गोंदिया (भाजपा की सीट), नागालैंड (एनडीपीपी की सीट), अररिया (आरजेडी की सीट), फूलपुर (भाजपा की सीट), गोरखपुर (भाजपा की सीट), अलवर (भाजपा की सीट), अजमेर (भाजपा की सीट), उलबेरिया (टीएमसी की सीट) शामिल हैं। कैराना में आरएलडी ने जीत हासिल की। गोंदिया में एनसीपी ने जीत हासिल की। फूलपुर में समाजवादी पार्टी ने कब्जा जमाया। गोरखपुर में समाजवादी ने कब्जा जमाया। अलवर में कांग्रेस की जीत हुई। अजमेर में भी कांग्रेस ने भाजपा से सीट छीन ली। इस तरह से अब तक 30 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, जिनमें पार्टी 20 सीटें हार चुकी हैं।
विधानसभा पर पड़ेगा असर! मंगलवार को तीन लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम आए हैं। वहीं, अब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन, भाजपा को उपचुनाव में जिस तरह से लगातार हार का सामना करना पड़ा है, उससे सबके मन में एक ही सवाल है कि क्या इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। क्योंकि, तीन राज्यों में भाजपा का कब्जा है और लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा कभी नहीं चाहेगी कि उसे हार का सामना करना पड़े। लेकिन, आंकड़े जो बता रहे हैं उससे भाजपा को बड़ा खतरा है। बहरहाल, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा कि भाजपा की साख खत्म हो रही है या अभी कुछ और होना बांकी है।