भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की साख इस बार पहले चरण के चुनाव में दांव पर लगी है। गडकरी भाजपा की टिकट से नागपुर संसदीय सीट पर चुनावी मैदान में हैं। यहां गडकरी का मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार नाना पटोले से है। पिछले चुनाव (2014) में गडकरी ने इसी सीट से 2.5 लाख वोटों से जीत अर्जित की थी। नागपुर सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है, लेकिन कुनबी समाज से आने वाले नाना पटोले के मैदान में उतरने से गडकरी को इस बार कांटे की टक्कर मिल सकती है।
पहले चरण के मतदान में इस बार पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा के भाग्य का फैसला भी ईवीएम में कैद हुआ। कर्नाटक की तुमकुर सीट से इस बार वे चुनावी मैदान में हैं। एचडी देवगौड़ा का भाजपा के जीएस बासवराज से मुकाबला है। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के तहत यह सीट जेडीएस के खाते में आई है।
पहचे चरण के मतदान में एक और सीट चर्चा का विषय है वो है आंध्र प्रदेश विजय नगरम सीट। इस सीट पर राजू बनाम राजू चुनावी मैदान में है। दरअसल टीडीपी नेता अशोक गजपति राजू का सीधा मुकाबला भाजपा के पी संन्यासी राजू से है। अशोक गजपति राजू 2014 में भी इस सीट अर्जित कर चुके हैं।
पूर्व सेना प्रमुख और विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह की साख भी पहले चरण में दांव पर लगी है। दरअसल वीके सिंह दिल्ली से सटे गाजियाबाद से चुनावी मैदान में हैं। भाजपा की टिकट पर लड़ रहे वीके सिंह का मुकाबला कांग्रेस की डॉली शर्मा से है। इसके अलावा गठबंधन उम्मीदवार सुरेश बंसल के मैदान में उतरने से मुकाबले त्रिकोणीय और दिलचस्प हो गया है।
भाजपा और कांग्रेस दोनों पर लगातार निशाना साधते हुए एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी लगातार तीन बार जीत कर लोकसभा पहुंच चुके हैं। एक बार फिर वे चुनावी मैदान में हैं। हैदराबाद सीट उनके लिए काफी लकी साबित हुई है। यही वजह है कि ओवैसी यहीं से एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मुस्लिम समुदाय में ओवैसी अब एक बड़ा चेहरा बन चुके है।
अभिनय के क्षेत्र में हाथ आजमाने के बाद पिता राम विलास पासवान की राह पर निकले चिराग पासवान बिहार की जमुई सीट से चुनावी मैदान में है। हालांकि ये पहली बार नहीं है इससे पहले 2014 में लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की टिकट पर जमुई से ही चुनाव लड़कर चिराग लोकसभा पहुंच चुके है। ये चुनाव उन्होंने 60 हजार वोटों से जीता था। इस बार चिराग का सीधा मुकाबला रालोसपा प्रत्याशी भूदेव चौधरी से है।
आरएलडी संस्थापक चौधरी अजीत सिंह मुजफ्फरनगर सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनकी टक्कर भाजपा उम्मीदवार संजीव बाल्यान से है। इस सीट पर मुसलमान, जाटव और जाट वोट बैंक का अच्छा खासा प्रभाव है। चौधरी अजीत सिंह जाटों के बड़े नेता माने जाते हैं, हालांकि वह पिछला चुनाव मोदी लहर में हार गए थे। इस बार उन पर सबकी नजरें टिकी हैं।
राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी पार्टी को राजनीति विरासत में मिली है। उनके बाबा स्व. चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री रह चुके हैं जबकि पिता अजित सिंह केंद्रीय मंत्री का पदभार संभाल चुके हैं। इस बार जयंत चौधरी बागपत संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। बागपत आरएलडी का गढ़ है, उनके पिता अजित चौधरी यहां से कई बार सांसद रह चुके हैं। जयंत 15वीं लोकसभा में मथुरा से सांसद रहे हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव 2014 में जयंत को हेमा मलिनी से शिकस्त मिली।
लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण में जिन दिग्गजों की दांव साख पर लगी है उनमें नैनीताल से पूर्व सीएम हरीश रावत, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, हाजी याकूब कुरैशी, जम्मू कश्मीर सीट से भाजपा के जुगल किशोर शर्मा और कांग्रेस के रमन भल्ला जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।