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एक तरफ मस्जिदों में अजान पर सवाल, दूसरी तरफ बिहार के स्‍कूलों में लाउडस्‍पीकर अनिवार्य

अगर शिक्षा विभाग के इस सोच को मान भी लें तो उन बच्‍चों का क्‍या जो हमेशा के लिए इस तर्क को सच मान बैठेंगे।

Aug 13, 2018 / 01:08 pm

Dhirendra

bihar school

एक तरफ मस्जिदों में अजान पर सवाल, दूसरी तरफ बिहार के स्‍कूलों में लाउडस्‍पीकर अनिवार्य

नई दिल्‍ली। हाल ही में बिहार स्‍कूल शिक्षा विभाग ने एक अजीब आदेश जारी कर सभी सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्‍त स्‍कूलों में लाउस्‍पीकर अनिवार्य कर दिया है। यहां तक तो सबकुछ सही है लेकिन शिक्षा विभाग ने इसके पीछे जो मकसद बताया है वो हजम नहीं हो रहा है। शिक्षा विभाग ने अपने आदेश में बताया है कि इससे स्‍कूली बच्‍चों में अनुशासन और समयबद्धता को बढ़ावा मिलेगा। अगर इस बात को सही मान लें तो फिर मुम्‍बई में अजान को लेकर बवाल क्‍यों मचा और दिल्‍ली में एनजीटी ने इस पर जांच क्‍यों बैठा दी? या फिर इस बात को बिहार सरकार शिक्षा विभाग की शैक्षिक गुणवत्‍ता की हकीकत मानकर रफा दफा कर दिया जाए। अगर ऐसा कर भी लें तो उन बच्‍चों का क्‍या होगा जो हमेशा के लिए इस बात को मान बैठेंगे कि लाउडस्‍पीकर से अनुशासन और समयबद्धता को बढ़ावा मिलता है।
विभागीय आदेश अतार्किक है
बिहार शिक्षा विभाग के इस आदेश के बारे में युवा समाजशास्‍त्री कुलदीप व्‍यास का कहना है कि यह हास्‍यास्‍पद स्थिति है। खासकर इस तरह की सोच के आधार पर शिक्षा विभाग काम करे तो समझ से परे हो जाता है। उन्‍होंने कहा कि लाउडस्‍पीकर की अनिवार्यता पर एतराज नहीं होना चाहिए लेकिन शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव का बयान चौकाने वाला है। लाउडस्‍पीकर ध्‍वनि प्रदूषण को बढ़ावा देता है न कि अनुशासन को। अनुशासन को बढ़ावा वातावरीण सोच और स्‍कूली शिक्षा में शामिल मूल्‍यबोध से मिलता है। वरिष्‍ठ अधिकारियों का यह तर्क इस बात का अंदाजा लग जाता है कि बिहार में शैक्षिक गुणवत्‍ता का स्‍तर क्‍या है?
शिक्षा विभाग के आदेश में क्‍या है?
शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आरके महाजन का कहना है कि लाउडस्‍पीकर अनिवार्य करने का मकसद छात्रों और कर्मचारियों के बीच अनुशासन और समय पर सारे काम कर सके इसके लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। महाजन द्वारा जारी इस आशय के पत्र में चेतना सत्र अथवा प्रार्थना सभा को प्रदेश के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों (प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक स्कूलों) में अनिवार्य किया गया है। महाजन का कहना है कि स्कूल के प्राचार्य लाउडस्पीकर सेट विकास निधि अथवा छात्र निधि से खरीद सकते हैं। जब इन सभी बातों पर महाजन से मीडिया ने पूछा तो उन्होंने बताया कि इसके इस्तेमाल से स्कूल के आसपास रहने वाले छात्रों को कक्षा प्रारंभ होने के बारे में पता चल जाएगा और वे उसमें समय से भाग ले सकेंगे ।
76 हजार स्‍कूलों में अनिवार्य
आपको बता दें कि बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों में अनुशासन, समयबद्धता के पालन के उद्देश्य से छात्रों और कर्मचारियों के लिए लाउडस्पीकर के जरिए सुबह की प्रार्थना अनिवार्य कर दी है। इसमें राज्य स्तर के गीत भी शामिल हैं। शिक्षा विभाग ने यह आदेश नौ अगस्त को जारी किया था। इसके तहत प्रदेश के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त 76,000 से अधिक स्कूलों में तत्काल प्रभाव के साथ सुबह की प्रार्थना अनिवार्य कर दी गई है। इसके विपरीत एनजीटी ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्‍ली के स्‍कूलों के आसपास के जिन मस्जिदों पर लाउडस्‍पीकर लगे हैं उनसे ध्‍वनि प्रदूषण की जांच का आदेश दिया है। साथ ही राज्‍य सरकार को इस बाबत रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इसी तरह देश के अन्‍य महानगरों में भी लाउडस्‍पीकर के उपयोग पर कई मामलों में प्रतिबंधित है।

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