दरअसल, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता ने गोपाल भार्गव ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सत्र बुलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि एक्जिट पोल के नतीजे बता रहे हैं कमलनाथ सरकार यहां की जनता का विश्वास खो दिया है। इसलिए विधानसभा में सरकार की शक्ति परीक्षण हो जाए।
ऐसा नहीं है कि भाजपा की ओर से सरकार बनाने की बात पहली बार कही कई हो। लोकसभा चुनाव से पहले भी भाजपा नेताओं ने दावा किया था कि अगर एक बार फिर से केन्द्र में मोदी की सरकार आती है तो कमलनाथ की सरकार गिर जाएगी।
कैलाश विजयवर्गीय ने यहां तक कह दिया था कि अगर ‘ऊपर’ से आदेश मिल जाए तो कमलनाथ की सरकार उसी दिन गिर जाएगी। कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को एक न्यूज चैनल से बात करते हुए दावा किया कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गई है। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कमलनाथ 22 दिन तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं, यह बड़ा सवाल है।
इधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने दावा किया कि कमलनाथ की सरकार वैसाखी पर चल रही है। वह अपने आंतरिक संघर्षों के कारण गिर जाएगी। आगे उन्होंने कहा कि फिलहाल हम केंद्र में सरकार बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
क्या है एमपी विधानसभा की मैथमेटिक्स मध्यप्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं। 2018
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे अधिक सीटें मिली थी। कांग्रेस को कुल 114 सीटें मिली थीं जबकि बहुमत के लिए 116 सीट चाहिए। वहीं भाजपा को 109 सीट मिली थीं। इसके अलवा 4 निर्दलीय को, बसपा को दो और सपा को एक सीट मिली थी। कमलनाथ सरकार को निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों का समर्थन मिला हुआ है। हालांकि कई बार बसपा और सपा विधायकों की नाराजगी भी सामने आयी है, जिसे बाद में कमलनाथ ने दूर भी कर दिया था।