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मोदी सरकार के फैसले से बुजुर्गों के लिए 10 हजार रुपए पेंशन का रास्‍ता साफ

कैबिनेट ने पीएम वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) में निवेश की सीमा 7.5 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपए किया।

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Dhirendra Kumar Mishra

May 03, 2018

union cabinet

नई दिल्‍ली। पीएम मोदी सरकार ने देश के वरिष्‍ठ नागरिकों को 10 साल तक प्रति माह 10 हजार रुपए पेंशन देने का ऐलान किया है। पीएम की अध्‍यक्षता में कैबिनेट की हुई बैठक में इस बात का फैसला लिया गया। यह फैसला वरिष्‍ठ नागरिकों के सामाजिक सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया है। ताकि बुजुर्गों को रोजमर्रा के काम के लिए किसी और पर निर्भर रहने की जरूरत न पड़े।

31 मार्च, 2020 बन सकते हैं सदस्‍य
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक अब पीएम वय वंदना योजना के अंतर्गत वरिष्‍ठ नागरिक 15 लाख रुपए तक निवेश कर पाएंगे। इससे उन्‍हें हर माह 10,000 रुपए पेंशन मिलने का रास्‍ता साफ हो गया है। इस योजना का सदस्‍य बनने की अंतिम तारीख भी 4 मई, 2018 से बढ़ाकर 31 मार्च, 2020 कर दी गई है। पहले इस योजना में निवेश सीमा 7.5 लाख रुपए ही थी। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस फैसले की पुष्टि की है। उनके मुताबिक निवेश सीमा प्रति परिवार 7.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए करने से वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा का कवर बढ़ जाएगा।

आठ प्रतिशत रिटर्न
प्रधानमंत्री वय वंदन योजना को भारतीय जीवन बीमा निगम चला रही है। इस योजना में पैसा निवेश करने पर एलआईसी आठ प्रतिशत का रिटर्न्‍स देती है। इसका मकसद 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराना है। सरकार के मुताबिक मार्च, 2018 तक कुल 2.23 लाख वरिष्‍ठ नागरिकों ने इस योजना का लाभ उठाया। इससे पहले वरिष्‍ठ पेंशन बीमा योजना-2014 प्रभावी थी, जिसमें 3.11 लाख वरिष्‍ठ नागरिक पंजीकृत थे।

पीएमवीवीवाई क्‍या है?
इस योजना का मकसद वरिष्‍ठ नागरिकों को अधिकतम सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। इस योजना के तहत सदस्यों को 10 साल तक 8 प्रतिशत सुनिश्चित रिटर्न के रूप में पेंशन मिलती है। वरिष्ठ नागरिक मासिक, तिमाही, छमाही या वार्षिक आधार पर पेंशन ले सकते हैं। यही नहीं रिटर्न 8% से कम आने पर सरकार उसकी भरपाई करती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस पेंशन योजना की शुरुआत 2017 में की थी। इस उत्पाद को ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी सबस्‍क्राइब किया जा सकता है। इस योजना को माल एवं सेवा कर (GST) से छूट दी गई है। पेंशन लेने के 3 साल बाद नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए खरीद मूल्य का 75% तक कर्ज लिया जा सकता है। पेंशनभोगी की पॉलिसी अवधि के दौरान मौत होने की स्थिति में खरीद मूल्य लाभार्थियों को सौंपा जाएगा। लागत का भुगतान सरकार सब्सिडी के रूप में एलआईसी को करेगी।