“मोदी मोड” में काम करने की जरूरत : हर्षवर्धन
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिक मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने यहां शनिवार को कहा कि देश सर्वागीण विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा है
लखनऊ । केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिक मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने यहां शनिवार को कहा कि देश सर्वागीण विकास के रास्ते पर आगे बढ़ा है। इसमें विज्ञान और तकनीक का बहुत योगदान है। देश को “मोदी मोड” के सहारे तेज गति से और आगे बढ़ाया जा सकता है, इसलिए वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के साथ मिलकर हम सबको मोदी मोड में काम करना होगा।
डॉ. हर्षवर्धन लखनऊ स्थित सीएसआईआर-सीडीआरआई के प्रेक्षागृह में वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सीएसआर्ईआर-सीडीआरआई लखनऊ की छत्रछाया में सरकार शीघ्र ही एक बायोफार्म इंडस्ट्री इन्क्यूबेटर (बीआईआई) को स्थापित करेगी। यह स्वास्थ्य की देखरेख में क्षेत्र में उद्यामियों की एक नई पीढ़ी तैयार करने का संघर्ष पूर्ण कार्य करेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय आईएनडी अध्ययनों की संपूर्ण श्रृंखला के लिए सीएसआईआर-सीडीआरआई में जीएलपी प्रमाणित प्रयोगशालाएं स्थापित करने के विषय में विचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि ये कदम नई औषधि विकास को पोषित करने के साथ-साथ प्रयोगशाला की वित्तीय सतह को भी सहारा देगा।
नरेंद्र मोदी सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आज भारत उत्पादन के मामले में वैश्विक बाजार में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर हैं और मूल्य की दृष्टि से 14वां सबसे बड़ा देश है। भारत को अक्सर विकासशील विश्व का औषधालय नाम से पुकारा जाता है।
उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में अनेक सीएसआई प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया है। उनमें क्लीनिकल परीक्षण सहित नई औषधि और विकास की क्षमता और पिछले छह दशकों में भारत में औषधि निर्माण उद्योग और शिक्षा की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मंत्री ने कहा कि भारत के लोग यह उम्मीद कर रहे हैं कि सीएसआईआर प्रयोगशालाएं पुन: उभरकर सामने आने वाली संक्रामक बिमारियों, जैसे डेंगू चिकनगुनिया, इन्सेफ्लाइटिस, स्वाइन फ्लू के साथ-साथ कैंसर डायबिटीज जैसी दवाओं के लिए उपराचारात्मक और रक्षात्मक उपाय प्रस्तुत करने में समर्थ होंगी।
उन्होंने कहा उद्योग प्रतिनिधियों के जरिए नई औषधि अनुसंधान एवं विकास में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं को सहयोग करना होगा। भागीदारी निरंतरता से आम आदमी के लाभ के अवसर बढ़ेंगे। उत्पादों और प्रोद्योगिकियों के विकास में मदद मिलेगी।
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