ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए बापू के पास था बेहतरीन फॉर्मूला, अब मिलेगा आपको इसका फायदा किशोर मकवाना नामक लेखक ने ‘कॉमनमैन नरेंद्र मोदी’ नाम से एक किताब लिखी है, जिसमें मोदी की जीवनी और उनसे जुड़े कई रोचक और छिपे पहलू भी हैं। इसी किताब में मोदी को शब्द के आराधक भी बताया गया है। इसमें किशोर मकवाना लिखते हैं कि नरेंद्र मोदी पर सरस्वती देवी प्रसन्न हैं। जब मोदी बोलते हैं तो मां शारदा उनकी जीभ पर और जब वो लिखते हैं तो उंगलियों के पोरों पर विराजमान रहती हैं।
अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई धारा 377, यह प्रावधान दिला सकते हैं सजा किताब के मुताबिक मोदी की लेखन शैली बचपन से ही अच्छी थी। जब मोदी आठवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब ही उन्होंने ‘पीला फूल’ नामक एक नाटक लिखा। करीब 13 वर्ष की उम्र में लिखे गए इस नाटक का एक मंचन भी हुआ। वहीं, जब वो 25 साल के थे तो आपातकाल के दौरान उन्होंने लोक जागरण के लिए प्रकाशित ‘सत्यवाणी’ पत्रिका का संपादन भी किया। लगातार तीन साल तक वो ‘साधना’ साप्ताहिक में ‘अनिकेत’ उपनाम से ‘अक्षर उपवन’ नामक एक स्तंभ भी लिखते रहे। इस स्तंभ में उन्होंने राजनीति, समाज, व्यक्ति विशेष, संस्कृति आदि विषय पर लिखा।
नरेंद्र मोदी का एक कहानी संग्रह ‘प्रेमतीर्थ’ नाम से है। उनकी पुस्तक ‘ज्योतिपुंज’ में व्यक्तित्वों पर अनूठे और रोचक लेख हैं। उन्होंने ‘स्वान्तः सुखाय’ भी लिखा। अंत में पीएम मोदी द्वारा लिखी गई कविता की दो पंक्तियां:
‘जिंदगी के यार हैं हम
और छलकता अल्हड़ प्यार हैं हम।
मन चाहे तो उड़ते हैं
या दरिया में डूब लगाते हैं हम,
अपनी मरजी के दरबार हैं हम।’