एनसीपी प्रमुख ने पीएम मोदी के नेहरू पर दिए गए बयान को खारिज करते हुए कहा कि देश की राजनीति में व्यक्तिगत हमले का चलन चल बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि आलोचनात्मक राजनीति सही है, मगर मैं यह बयान नहीं स्वीकार कर सकता कि देश के विकास में या लोकतंत्र को मजबूत करने में नेहरू का कोई योगदान नहीं था। अगर 12वीं शताब्दी में लोकतंत्र आया था तो उसके बाद भी ब्रिटिश ने हम पर शासन किया था और हम गुलाम थे।
दरअसल पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में मनसे प्रमुख राज ठाकरे पवार से सवाल पूछ रहे थे। इस मौके पर पवार ने स्वर्गीय यशवंतराव चव्हाण को याद किया, जो हमेशा कहते थे कि भारत को एक मजबूत लोकतांत्रिक देश बनाने के लिए नेहरू जिम्मेदार थे। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी वैचारिक मतभेदों के बावजूद हर किसी का सम्मान करते थे। उन्होंने कहा कि एक दौर था जब महाराष्ट्र के राजनेता देश को हमेशा सबसे पहले रखते थे। इस पर ठाकरे ने पूछा कि दूसरे राज्यों के नेताओं ने ऐसा क्यों नहीं किया, जिसके जवाब में पवार ने स्वीकार किया कि क्षेत्रवाद को राष्ट्र के ऊपर रखने के अपने दृष्टिकोण के कारण महाराष्ट्र को कई बार इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी।
मनसे प्रमुख ने जब मराठा क्षत्रप से कहा कि पीएम मोदी विदेशी नेताओं को देश के दूसरे हिस्सों में ले जाने की बजाय अहमदाबाद ले जाते हैं तो इसके जबाव में पवार ने कहा कि एक पीएम के लिए देश सबसे पहले आना चाहिए। जब कोई राष्ट्र का नेता होता है तो देश सबसे पहले आना चाहिए। हालांकि गुजरात और अहमदाबाद के लोगों का उन गर्व होना स्वभाविक है। उन्होंने कहा कि जब मोदी गुजरात सीएम थे तब वह कांग्रेस नेतृत्व और पीएम मनमोहन सिंह के एक मुखर आलोचक थे।