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राजनीति

बिहार में नए सियासी समीकरण के संकेत, मांझी और ओवैसी की नजदीकी से अटकलें तेज

29 दिसंबर को बिहार के किशनगंज में ओवैसी ( Owaisi ) और जीतन राम मांझी ( jitan ram manjhi ) एक साथ रैली करेंगे
दोनों के साथ आने से बिहार में सियासी हलचल तेज

नई दिल्लीDec 27, 2019 / 01:59 pm

Kaushlendra Pathak

jitan ram manjhi And Asaduddin Owaisi

जीतन राम मांझी और ओवैसी एक साथ मंच साझा करेंगे।

नई दिल्ली। बिहार ( Bihar ) में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव ( vidhan sabha election ) से पहले राज्य में सियासी समीकरण बदलने के संकेत मिलने लगे हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ( HAM ) के मुखिया जीतन राम मांझी ( Jitan Ram Manjhi ) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ( AIMIM ) के असदुद्दीन ओवैसी ( Asaduddin Owaisi ) दो दिन बाद साथ में मंच साझा करने वाले हैं। इसे लेकर अब तरह-तरह के कयास लगने लगे हैं। बिहार की सियासत में यह बात अभी से हवा में तैरने लगी है कि विधानसभा चुनाव में ‘एआईएमआईएम’ और ‘हम’ गठबंधन कर मैदान में उतर सकते हैं।
गौरतलब है कि 29 दिसंबर को बिहार के किशनगंज में नागरिकता संशोधन अधिनियम ( CAA ) और एनआरसी ( NRC ) के विरोध में आयोजित एक रैली में दोनों नेता मंच साझा करेंगे। बिहार के सीमांचल इलाके में ओवैसी की पार्टी की मजबूत पकड़ है। मांझी की हम भी इस इलाके में मजबूत होने में लगी है। इस मामले में हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान का कहना है कि 29 दिसंबर को दोनों नेता साथ में एक मंच से लोगों को संबोधित करेंगे, लेकिन आनेवाले चुनाव में क्या होगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। चुनाव के वक्त देखा जाएगा।
फिलहाल कांग्रेस, राजद सहित अन्य दलों के महागठबंधन में शामिल हम के बिहार चुनाव से पहले एआईएमआईएम के साथ आने से राज्य की राजनीति का प्रभावित होना तय माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि चुनाव मैदान में एआईएमआईएम के आने से मुस्लिम वोटों का बिखराव भी होगा, जिसका फायदा जेडीयू और भाजपा गठबंधन को होगा। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने इस समीकरण से भाजपा को लाभ पहुंचने की बात कही है। उन्होंने कहा कि मांझी जैसे दिग्गज नेता को यह समझना चाहिए कि बिहार के बाहर जहां भी ओवैसी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं, उन्होंने केवल भाजपा की मदद की है और अगर मांझी की यही मंशा है तो अच्छा होगा कि वह राजग में वापस चले जाएं।
वहीं, बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेमचंद्र मिश्र ने तो साफ तौर पर एआईएमआईएम को भाजपा की ‘बी’ टीम बताया है। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम चुनाव मैदान में भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए उतरती है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि ओवैसी की विभाजनकारी राजनीति पूरी तरह से मुसलमानों के उकसावे पर आधारित है, जो बिहार में सफल नहीं होगी। अब देखना यह है कि इस रैली के बाद बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर क्या समीकरण बनते हैं?

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