आंध्र प्रदेश की तर्ज पर बिहार की स्पेशल स्टेट की मांग काफी पुरानी है । पीएम मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बिहार के लिए स्पेशल स्टेट के मुद्दें को उठाया था । बिहार के लोकसभा चुनाव के दौरान भी ये मुद्दा काफी चर्चा में रहा । इसी कड़ी में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने विशेष राज्य की मांग को लेकर बयान दिया है । तेजस्वी यादव के बयान के बाद राज्य में विशेष राज्य की मांग फिर गर्मा गई है । नीतीश कुमार के भाजपा के साथ दोबारा सरकार बनाने के बाद तेजस्वी यादव सीएम पर निशाना साधते रहते हैं । लोकसभा चुनाव नजदीक आने के बाद से नीतीश कुमार ने अपनी पुरानी मांग पर फिर से जोर देना शुरू कर दिया है। जबकि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश चचा पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए बिहार के हितों को त्यागने का काम किया है।
सीएम चंद्राबाबू ने पीएम के साथ के साथ वार्ता विफल होने के बाद तेलुगु देशम पार्टी ने केंद्र सरकार से अपने मंत्री हटा लिए। जिस वजह से चंद्राबाबू ने मोदी सरकार से रिश्ता तोड़ा वह आर्थिक कम राजनीतिक ज्यादा होने से आगामी चुनाव के मद्देनजर तेलुगु देशम ने क्षेत्रीय भावनाएं भुनाने का दांव चल दिया। भाजपा भी इसको भांप गई थी इसलिए उसने मनाने की कोशिश तो की लेकिन मनुहार नहीं। दोनों के बीच विवाद की जड़ विशेष राज्य का दर्जा है। तेलुगु देशम का कहना है भाजपा ने आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का आश्वासन दिया था। हैदराबाद के तेलंगाना के हिस्से में चले जाने से अमरावती नामक नई राजधानी बनाने हेतु भी केंद्र से बड़ी राशि देने का वायदा किया था। लेकिन अब केंद्र कह रहा है कि 14वें वित्त आयोग ने कुछ पहाड़ी राज्यों को छोड़कर विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त कर विशेष पैकेज की व्यवस्था बना दी है जिसमें 90 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत राज्य का योगदान रहेगा।