इससे पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इन मुद्दे को देखने के लिए संयुक्त संसदीय समिति ( जेपीसी) के गठन की मांग की। नायडू ने कहा कि राज्य के विभाजन के बाद हमें मदद और मार्गदर्शन की जरूरत थी, इसीलिए हम एनडीए से जुड़े थे। लेकिन केन्द्र ने इस ओर पिछले चार वर्षों में ध्यान नहीं दिया। एनडीए से अलग होने के बाद अब उनपर बीजेपी जानबूझकर कीचड़ उछाल रही है। नायडू ने कहा कि जब से उनकी पार्टी ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग को लेकर लड़ाई शुरू की है, उसी समय से केंद्र सरकार उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। संसद में कई बार पीएम मोदी से मिलने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हमेशा मुझे नजरअंदाज किया। नायडू ने कहा कि हमने मिलकर अभियान चलाया और लोगों को भरोसा दिलाया कि उनके साथ न्याय होगा। इसलिए लोगों ने हमें वोट दिया। भाजपा से मिलते समय हमनें यह सोचा था कि इससे हमारे राज्य का भी फायदा होगा।
आपको बता दें कि पिछले महीने एनडीए से अलग होने की घोषणा के बाद से लगातार बीजेपी के खिलाफ पार्टी के सांसदों की मुहिम जारी है। लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी के सांसद नियमित रूप से हंगामा कर सदन नहीं चलने दे रहे हैं। साथ ही सीएम नायडू थर्ड फ्रंट गठन को लेकर विपक्षी पार्टियों से नियमित रूप से मुलाकात कर रहे हैं। ताकि 2019 के लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी को चुनौती दी जा सके। टीडीपी के इस रवैये को देखते हुए बीजेपी ने भी अब उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।