कांग्रेस ने सरकार से कहा कि 1951 और 1985 का एनआरसी अकॉर्ड असम के संदर्भ में था। कांग्रेस ने सरकार से इस बारे में फैली भ्रांतियों और अफवाहों के साथ राजनीतिक बयानों को लेकर स्पष्टीकरण देने को कहा। साथ ही इस बारे में सरकार को स्थिति स्पष्ट करने को कहा कि क्या एनआरएसी का दायरा दूसरे राज्यों तक भी बढ़ाया जाएगा। साथ ही यह भी सवाल उठाया कि तीस साल तक सेना और वायुसेना में देश सेवा करने वाले जवान को फाइनल ड्राफ्ट में जगह क्यों नहीं मिली?
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि एनआरसी ड्राफ्ट लिस्ट में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इसकी सारी प्रक्रियाओं को नोटिफाई किया जाए। उन्होंने सरकार से पूछा कि इस बारे में गरीब और अनपढ़ लोगों को जानकारी देने के लिए क्या व्यवस्था की गई है। इसका असर केवल देश और उसके राज्यों पर नहीं बल्कि पड़ोसी देशों पर भी पड़ने वाला है। इन बातों को लेकर सरकार की नीति क्या है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी एनआरसी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि देश की एकता, अंखडता और संप्रभुता से किसी तरह का कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा कि सेना और एयरफोर्स में तीस सालों तक देश सेवा करने वाले पूर्व जवान भी फाइनल ड्राफ्ट से बाहर हैं। ऐसा क्यों?