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‘कांग्रेस’ के बचाव में उतरे उमर अब्दुल्ला के भाई, जम्मू-कश्मीर में नए राजनीतिक समीकरण के संकेत

एक बार फिर से राजनीतिक समीकरण बनाने की सुगबुगाहट होने लगी है। राज्य में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी है।

नई दिल्लीJun 24, 2018 / 06:18 pm

Anil Kumar

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुस्तफा कमाल

‘कांग्रेस’ के बचाव में उतरे उमर अब्दुल्ला के भाई, जम्मू-कश्मीर में नए राजनीतिक समीकरण के संकेत

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद अब राज्यपाल शासन लागू हो चुका है। लेकिन इन सबके बीच एक बार फिर से राजनीतिक समीकरण बनाने की सुगबुगाहट होने लगी है। राज्य में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी है। दरअसल नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला के भाई मुस्तफा कमाल के बयान के बाद कश्मीर और दिल्ली की सियासत में सरकार गठन को लेकर हवाएं गर्म हो गई है। मुस्तफा कमाल ने अपने बयान में कश्मीर में राजनीति के नए समीकरण के संकेत दिए हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर घाटी में बिगड़े हालात के लिए कांग्रेसी नेताओं को किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

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घाटी में आतंकवाद के लिए भाजपा-पीडीपी जिम्मेदार: कमाल

आपको बता दें कि आगे अपने बयान में मुस्तफा ने कहा है कि कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद फैलाने के लिए सिर्फ और सिर्फ भाजपा और पीडीपी जिम्मेदार है। कांग्रेस को किसी तरह से भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। बता दें कि अपने बयान में मुस्तफा कमाल कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और सैफुद्दीन सोज के कश्मीर को लेकर दिए हालिया बयान का बचाव करते दिखे। अपने बयान में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को कश्मीर घाटी में हिंसा फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। अब राजनीतिक गलियारों में मुस्तफा कमाल के इस बयान के बाद नए समीकरणों को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जहां एक ओर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुस्तफा कमाल ने कांग्रेस के लिए नरम रुख रखा है वहीं दूसरी ओर भाजपा और पीडीपी को कश्मीर घाटी में फैले हिंसा को लेकर कटघरे में खड़ा कर दिया। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर कोई बात सामने नहीं आई है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि बहुत जल्द ही कोई नया समीकरण देखने को मिल सकता है।

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विधासभा में सीटों की संख्या

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीटें हैं। जिसमें सबसे ज्यादा पीडीपी के 28 विधायक हैं जबकि भाजपा के 25 विधायक हैं। इसके अलावे नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए 44 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है। यदि कोई नया समीकरण बनता है तो बिना भाजपा या फिर पीडीपी के सहयोग के संभव नहीं हो सकता है। क्योंकि यदि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस (15 +12= 27) मिल जाती है तब भी यह आंकड़ा सरकार गठन के लिए कम रह जाता है।

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