आपको बता दें कि देश भर में गोरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा जारी हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि चार सप्ताह के भीतर मॉब लिन्चिंग पर दिशा-निर्देश जारी करें। कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर कोई भी शख्स कानून को हाथ में नहीं ले सकता है। केंद्र और राज्य सरकार को गाइडलाइन जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के लिए कानून व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है। अब शीर्ष अदालत के इसी आदेश को मुद्दा बनाते हुए सीपीआई ने राज्यसभा में तो टीएमसी और आरजेडी सांसदों ने मॉब लिंचिंग पर स्थगन प्रस्ताव पेश कर दिया है। स्थगन प्रस्ताव में सांसदों ने झारखंड में स्वामी अग्निवेश के साथ मंगलवार को हुई मॉब लिंचिंग की घटना को हास्यास्पद बताया है। इस बात को लेकर सांसदों ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है।
पीएम मोदी ने मंगलवार को सर्वदलीय बैठक के दौरान संसद को सफलतापूर्वक चलाने के लिए सभी दलों से सहयोग की अपील की थी। लेकिन विपक्ष के तेवरों से साफ है कि यह सत्र भी पिछले सत्र की तरह हंगामे की भेंट चढ़ सकता है। ऐसा इसलिए कि विपक्ष अपने मुद्दों पर नरमी दिखाने को तैयार नहीं है और पहले दिन ही दोनों सदनों में इसकी शुरुआत स्थगन प्रस्ताव के नोटिस से कर दी है।