scriptPatrika Explainer: उत्तराखंडी सियासत के 20 वर्षों में बने 9 मुख्यमंत्री, केवल एक ही रहा सफल | Patrika Explainer: Uttarakhand changed 9 Chief Ministers in 20 years of formation | Patrika News
राजनीति

Patrika Explainer: उत्तराखंडी सियासत के 20 वर्षों में बने 9 मुख्यमंत्री, केवल एक ही रहा सफल

पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की सत्ता भी यहां के रास्तों की तरह ऊंची-नीची है और आलम यह है कि 20 वर्षों में अब तक नौ मुख्यमंत्रियों में से केवल नाराणय दत्त तिवारी के अलावा बाकी कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।

Patrika Explainer: Uttarakhand changed 9 Chief Ministers in 20 years of formation

Patrika Explainer: Uttarakhand changed 9 Chief Ministers in 20 years of formation

देहरादून। उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में सियासत बहुत नाजुक है। आलम यह है कि अपने अस्तित्व में आने के 20 वर्षों में प्रदेश में नौ मुख्यमंत्री बन चुके हैं और कार्यकाल पूरा करने के मामले में केवल एक ही मुख्यमंत्री सफल रहा है, जबकि बाकी ऐसा नहीं कर सके। अब ताजा मामला इस वर्ष मार्च में मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे का है और प्रदेश के 10वें सीएम के रूप में पुष्कर सिंह धामी का नाम भी सामने आ चुका है। ऐसे में इस प्रदेश में अब तक हुई उठापटक के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है।
दरअसल, नई शताब्दी की शुरुआत यानी साल 2000 में उत्तराखंड अस्तित्व में आया। इसके बाद से यहां पर सियासी अस्थिरता लगातार जारी रही है और आलम यह है कि शनिवार को उत्तराखंड के नौवें मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद फिर से इसकी अस्थिरता और नाजुक सियासत की कहानी सामने आ गई है।
इससे चार माह पहले मार्च 2021 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पर्यवेक्षकों की एक टीम ने आठवें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रदर्शन का आंकलन किया और इसके बाद उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया। हालांकि रावत का इस्तीफा ऐसे वक्त में सामने आया था जब उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने में एक साल बचा है।
https://youtu.be/xdkuu2YZ4rA
उत्तराखंड में वर्ष 2002 से 2007 तक जबर्दस्त ढंग से कुर्सी संभालने वाले नारायण दत्त तिवारी को छोड़कर अन्य कोई भी सीएम अपना पांच वर्षीय कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अब तक बैठने वाले नौ में से छह मुख्यमंत्री भाजपा के रहे हैं। इनमें सबसे पहले नित्यानंद स्वामी (2000 से 2001 तक) और भगत सिंह कोश्यारी (2001 से 2002 तक) ने सत्ता संभाली थी। फिर प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव आयोजित किए गए थे।
9 नवंबर 2000 को बतौर राज्य के अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखंड में भाजपा नेता नित्यानंद स्वामी के हाथ में अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा गया। लेकिन एक साल पूरा होने से पूर्व ही उन्होंने पार्टी हाईकमान के आदेश के बाद अपनी कुर्सी भगत सिंह कोश्यारी को सौंप दी। फिर प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव (2002) में भाजपा को विरोध का सामना करना पड़ा और 2 मार्च 2002 को कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी यहां के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 7 मार्च 2007 तक अपना कार्यकाल पूरा किया।
भाजपा ने वर्ष 2007 में वापस सत्ता हासिल की और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में शामिल रहे मेजर जनरल बीसी खंडूरी (सेवानिवृत्त) ने 7 मार्च 2007 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। हालांकि खंडूरी करीब सवा दो साल ही कुर्सी पर बैठ सके।
https://youtu.be/OmdKqq87rnU
26 जून 2009 में हरिद्वार में कुंभ मेले से कुछ महीने पहले भाजपा ने खंडूरी की जगह 27 जून 2009 को रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को मुख्यमंत्री बना दिया और फिलहाल वह भारत के शिक्षा मंत्री हैं।
निशंक की किस्मत में भी केवल दो साल तक ही सत्ता थी और उन्हें 10 सितंबर 2011 में इस्तीफा देने के लिए कह दिया गया। फिर जनरल खंडूरी (11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012) को विधानसभा चुनाव से पांच महीने पहले फिर सीएम बना दिया गया।
इस दौरान पार्टी को लगा कि खंडूरी की वापसी से उनकी सरकार और पार्टी की छवि ठीक होगी और विधानसभा चुनावों में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद जीतने में मदद मिलेगी, लेकिन पार्टी की उम्मीदें सही साबित नहीं हो सकीं और भाजपा ने 31 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस को 32 सीटें मिलीं। कांग्रेस ने बसपा और निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ मिलकर सरकार बनाई। इस चुनाव में कोटद्वार से खंडूरी चुनाव हार गए जबकि निशंक ने देहरादून में डोईवाला सीट जीती।
https://www.dailymotion.com/embed/video/x7zt4wg
अब भाजपा में आ चुके कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा फिर 13 मार्च 2012 को मुख्यमंत्री बने, लेकिन वह भी लंबे समय तक सत्ता में नहीं रह सके। वर्ष 2014 की विनाशकारी केदारनाथ बाढ़ के बाद 31 जनवरी 2014 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया। तब 1 फरवरी 2014 को हरीश रावत ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन कांग्रेस के भीतर जारी अनबन से वह भी हट गए।
27 मार्च 2016 को विजय बहुगुणा सहित कांग्रेस के नौ विधायकों ने रावत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया और उनकी सरकार को हटा दिया। 70 सदस्यीय विधानसभा, जिसमें 71वां एक मनोनीत सदस्य है, को निलंबित कर दिया गया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
हालांकि हरीश रावत (21 अप्रैल 2016 से 22 अप्रैल 2016 और 11 मई 2016 से 18 मार्च 2017) तब फ्लोर टेस्ट जीतकर वापस सत्ता पाने में सफल रहे, लेकिन जो नुकसान होना था, हो गया था। 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 11 सीटों पर ही सिमट गई, जबकि नरेंद्र मोदी की लहर ने भाजपा को सत्ता में पहुंचा दिया। पार्टी ने विधानसभा में 57 सीटें जीतीं।
https://youtu.be/XIXyA5umVew
भारी भरकम जीत के बाद भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत (18 मार्च 2017 से 9 मार्च 2021) को मुख्यमंत्री घोषित किया। हालांकि बीते 18 मार्च 2021 को सत्ता में आने के चार साल पूरा करने से पूर्व ही त्रिवेंद्र रावत ने हट गए।
राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंपने से पहले मुख्यमंत्री के भविष्य को लेकर कई दिनों से अटकलें लग रही थीं। शनिवार 6 मार्च को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह देहरादून पहुंचे थे और पार्टी की राज्य कोर कमेटी की बैठक की जबकि 8 मार्च को त्रिवेंद्र रावत ने नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की।
https://youtu.be/SyesW2lnSns

Home / Political / Patrika Explainer: उत्तराखंडी सियासत के 20 वर्षों में बने 9 मुख्यमंत्री, केवल एक ही रहा सफल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो