राजनीति

सबको देख लूंगा से भाजपा में खलबली

असंतुष्टों को मोदी की परोक्ष चेतावनी, सुधरे नहीं तो टिकट भी नहीं
 

Aug 12, 2017 / 11:21 pm

Subhash Raj

सुभाष राज
नई दिल्ली । सत्ताधारी दल के सांसदों की संसद के दोनों सदनों में कम उपस्थिति से नाराज प्रधानमंत्री की संसदीय दल की बैठक में 2019 में ‘सबको देख लूंगा’ टिप्पणी से भाजपा में खलबली है। नेतृत्व से सीधे जुड़े नेताओं से लेकर असंतुष्ट मगर खामोश नेताओं के खेमे तक प्रधानमंत्री की इसी टिप्पणी की चर्चा है। माना जा रहा है कि गुजरात में राज्यसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति के धराशायी होने के साथ ही राज्यसभा में विपक्ष की मजबूत किलेबंदी के चलते नेतृत्व परेशान है। इसी से निजात के लिए असंतुष्टों और उनके समर्थक सांसदों को परोक्ष चेतावनी दी गई है कि हालात नहीं सुधरे तो दो साल बाद वे फिर से टिकट पाने की आशा नहीं रखें।
बुना गया था जाल

भाजपा के एक ताकतवर महासचिव के अनुसार केन्द्र में सरकार बनने के बाद पार्टी के नेतृत्व विरोधी धड़े ने यूं तो हाथ-पांव सिकोड़ लिए थे लेकिन मौके-बेमौके विरोध का कोई अवसर भी छोड़ा नहीं जा रहा था। बिहार चुनाव के बाद बुजुर्ग नेताओं की जुबान खुलने के साथ ही नेतृत्व को आभास हो गया था कि पार्टी तथा सरकार पर पकड जरा भी ढीली हुई तो असंतुष्ट खेमा खुलेआम सिर उठा सकता है। इससे पार पाने के लिए तेजतर्रार कार्यकर्ताओं का जाल असंतुष्ट नेताओं के आसपास बुना गया था। इन कार्यकर्ताओं से नेतृत्व को नियमित इनपुट मिलता है।
मनोबल बढऩे की मिल रही थी जानकारी

गुजरात में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अहमद पटेल को हराने के लिए मैदान में उतारे गए बलवंत सिंह राजपूत की हार और इससे पहले राज्यसभा में विपक्ष के हावी होने से एक विधेयक पर हुई पार्टी की किरकिरी से खामोश असंतुष्ट नेताओं का मनोबल बढने की सूचना इंटेलिजेंस टीम से मिलते ही नेतृत्व के कान खड़े हो गए थे। पार्टी में कभी कद्दावर रहे कुछ नेताओं की गुजरात के असंतुष्ट नेताओं के साथ बढ़ती पींगों की जानकारी से भी नेतृत्व बेचैन था। सरकार का इंटेलिजेंस इनपुट भी इस सबकी लगातार पुष्टि कर रहा था। जानकारी के अनुसार पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को राज्यसभा में लाने के फैसले के बाद मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की अफवाहों से दो-तीन कद्दावर मंत्रियों के आशंकित होने से भी असंतुष्टों को बल मिलने की सम्भावनाएं भी बन रही थी।
आकार बड़ा होने की थी आशंका

पार्टी सूत्रों के मुताबिक नेतृत्व को लगातार यह सलाह दी जा रही थी कि इस मामूली चिंगारी को अभी नहीं बुझाया गया तो आम चुनाव आते-आते असंतुष्ट खेमे का आकार बड़ा हो सकता है और वह नेतृत्व से आंख मिलाने की जुर्रत भी कर सकता है। इसी वजह से चेतावनी देने के लिए संसदीय दल की बैठक का चुनाव किया गया। बैठक में शामिल एक सांसद के मुताबिक मीडिया से खबरें साझा करने के आरोप से सन्न सांसद तब हतप्रभ रह गए जब आमतौर पर सांसदों के साथ बातचीत में नरम शब्दों इस्तेमाल करने वाले प्रधानमंत्री अचानक देख लूंगा पर आ गए। वे यही नहीं रुके बल्कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के राज्यसभा में आने का उल्लेख भी इस तरह से किया कि मानो कह रहे हों कि अब रिंग मास्टर भी आपके बीच आ गए है। सांसद के मुताबिक ऐसा लग रहा था मानों असंतुष्टों से कहा जा रहा हो कि अगर नहीं सुधरे तो 2019 में सबका पत्ता साफ कर दिया जाएगा।

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