Population Control Bill: क्यों हो रहा बिल का विरोध, कौन कर रहे इसकी मुखालफत?
Population Control Bill पर संसद में चर्चा से पहले ही शुरू हो चुका है विरोध, दारूम उलूम से लेकर एआईएमआईएम और विश्व हिंदू परिषद ने नीति पर जताया है एतराज
नई दिल्ली। जनसंख्या नियंत्रण ( Population Control Bill )कानून लाने की कवायद शुरू हो गई है। शुक्रवार को 6 अगस्त को प्राइवेट मेंबर बिल (Pvt member bill) पर राज्यसभा में चर्चा होगी। बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा का जनसंख्या नियंत्रण को लेकर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया जा चुका है। हालांकि इस बिल को लेकर लगातार विरोध हो रहा है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण बिल का प्रस्ताव लाई है। वहीं असम सरकार भी ऐसा ही कानून ला रही है। मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ दल के बीच से ही यह मांग शुरू हो गई है कि राज्य सरकार को प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए एक सख्त कानून लाना चाहिए।
वहीं बीजेपी के सांसद राकेश सिन्हा ने संसद में विपक्ष पर बिल का विरोध करने का आरोप लगाया। सिन्हा ने कहा इस मुद्दे पर बहस से बचने के लिए विपक्ष प्राइवेट मेंबर बिल के दौरान हंगामा कर रहा है।
यह भी पढ़ेंः आपकी बात, यूपी में जनसंख्या नियंत्रण बिल पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?दारूल उलूम ने बताया मावाधिकारों के खिलाफ इस्लामी शिक्षा के प्रमुख संस्थान दारुल उलूम ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण का कानून का विरोध किया है। दारुल उलूम की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह समाज के हर वर्ग के हितों को प्रभावित करेगा। दारुल उलूम के वाइस चांसलर अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि यह नीति समाज के हर वर्ग के खिलाफ है।
उन्होंने कहा ये कैसी नीति है, जिसमें लोगों को बेसिक जरूरतों के लिए भी सरकार इनकार करती है, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। यह मानवाधिकारों के खिलाफ हैं। VHP ने किया विरोध यूपी सरकार की ओर से लाई गई नई जनसंख्या नीति पर विश्व हिन्दू परिषद (Vishva Hindu Parishad) ने सवाल खड़े किए हैं। कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने इस मसले पर यूपी लॉ कमिशन को चिट्ठी लिखी। वीएचपी का कहना है कि पब्लिक सर्वेंट या अन्य को एक बच्चा होने पर इंसेटिव देने की बात कही गई है। इस नियम को बदलना चाहिए।
ओवैसी ने भी जताया एतराज AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी जनसंख्या नियंत्रण विधेयक’ का विरोध किया। ओवैसी ने कहा, ‘पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2020 में सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक हलफनामे में कहा था कि ‘एक निश्चित संख्या में बच्चे पैदा करने को लेकर की गई कोई भी जबरदस्ती गलत है और यह जनसांख्यिकीय विकृतियों की ओर ले जाती है।’
औवेसी ने कहा, ‘1999-2000 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) के आंकड़ों के मुताबिक, हिंदुओं में कुल प्रजनन दर (TFR) 1.2 फीसदी और मुस्लिमों में 1.66 फीसदी थी। ‘मैं बीजेपी को चुनौती देता हूं कि मुझे बताओ कि यह डेटा सच है या नहीं. अगर उन्हें लगता है कि यह सच है, तो फिर यह बिल क्यों है?’
यह भी पढ़ेंः जनसंख्या नियंत्रण कानून पर आयोग को मिले 8,500 सुझाव में सख्त कानून बनाने की मांगबीजेपी ने बताया विरोध का कारण बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने आरोप लगाया कि कुछ लोग निहित स्वार्थ के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध कर रहे हैं। सिन्हा ने कहा कि, जनसंख्या जिहाद के कारण एक विशेष वर्ग इस प्राइवेट मेंबर बिल और इस तरह के कानून का विरोध कर रहा है। इसके साथ ही साथ जनसंख्या नियंत्रण कानून के विरोध के लिए एक मल्टीनेशनल कंपनी का ऐसा वर्ग है जो भारत से सस्ता मजदूर जाता है।
सिन्हा ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर के उत्तर प्रदेश सरकार और असम सरकार की पहल का भी स्वागत किया और कहा कि इस को लेकर के राष्ट्रीय स्तर पर एक नीति बननी चाहिए।
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