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राष्ट्रपति भवन छोडऩे से पहले..प्रणव मुखर्जी ने दी थी आईआईटी शिक्षक को राहत

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रणब मुखर्जी के आदेश को लागू करने के लिए आईआईटी खडग़पुर के निदेशक को आदेश जारी किए।

Aug 11, 2017 / 02:00 pm

Madhukar Mishra

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Pranav Mukharji

नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में अपने अंतिम कार्यकाल के दौरान प्रणव मुखर्जी ने आईआईटी खडग़पुर के एक व्हिसल ब्लोअर प्रोफेसर पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को खारिज कर दिया था, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक ऐसा नायक बताया गया था जिनका जिक्र अक्सर नहीं होता, लेकिन अब उभर कर वह सामने आया है।
पद छोडऩे से पहले किए थे हस्ताक्षर
मुखर्जी ने पिछले महीने राष्ट्रपति पद पद छोडऩे के कुछ दिन पहले कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर राजीव कुमार के नाम पर फाइल पर हस्ताक्षर किए थे। विदित हो कि राष्ट्रपति सभी आईआईटी के सर्वोच्च शीर्ष अधिकारी है। फ़ाइल इसी महीने की शुरुआत में मानव संसाधन विकास मंत्रालय पहुंची है।
इन आरोपों के चलते हुए थे निलंबित
आईआईटी ने उन्हें मई 2011 में ‘दुर्व्यवहार’ के लिए निलंबित कर दिया था, जबकि उसी साल सर्वोच्च न्यायालय ने आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में सुधार लाने के प्रयासों के लिए प्रोफेसर की सराहना की थी, जिसे बाद में जेईई एडवांस्ड नाम दिया गया। कुमार पर आरोप था कि लैपटॉप की खरीद में अनियमितता, परीक्षा में छात्रों द्वारा बड़े पैमाने पर नकल करने के मामलों को उजागर करने के लिए वे पत्रकारों के संपर्क में थे, जिसके चलते संस्थान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।
पैनल पर लगाया था पक्षपात का आरोप
संस्थान द्वारा बनाए गए एक जांच पैनल ने उन्हें दोषी पाया। 2014 में, आईआईटी ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया। जिकसे बाद कुमार ने पैनल पर पक्षपात करने का आरोप लगाया और दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की। जिसके बाद अदालत ने आईआईटी ने उनके फैसले पर रोक लगा दी। साथ ही इस संबंध में उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि निर्णय रद्द कर दिया जाए।
राष्ट्रपति ने किया अपनी शक्तियों का प्रयोग
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निदेशक कुंदन नाथ बताते हैं कि उन्हें 3 सितंबर 2014 को प्रोफेसर राजीव कुमार द्वारा की गई अपील को लेकर भारत के राष्ट्रपति द्वारा निर्देश मिला है कि राष्ट्रपति ने आईआईटी खडग़पुर के विजटर के रूप में धारा 15 के तहत प्रदत्त (12) (ए) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए उन पर संस्थान द्वारा लगाए गए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दंड को समाप्त कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक मुखर्जी ने अपना फैसला लेने से पहले कानूनी राय ली। बहरहाल, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रणब मुखर्जी के आदेश को लागू करने के लिए आईआईटी खडग़पुर के निदेशक को आदेश जारी कर दिए हैं।

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