ये एक अपराध है: राउत
राउत ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंकों की लाइन में लगने की वजबह से कई लोगों की मौत हुई है। यह एक बड़ा अपराध है। शिवसेना ने मांग की है कि नोटबंदी पर आई आरबीआई की ताजा रिपोर्ट पर संसद में चर्चा होनी चाहिए।
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99.3 फीसदी नोट आए वापस: आरबीआई
नोटबंदी को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट ने पूरे देश में हैरान कर दिया है। आरबीआई के मुताबिक बंद किए गए 500 और 1000 के 99.3 फीसदी नोट बैंक के पास वापस आ गए हैं। इसके बाद पूरा विपक्ष मोदी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाने लगा है। कांग्रेस ने पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने झूठ के लिए माफी मांगेंगे, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से नोटबंदी पर श्वेत पत्र की मांग की है।
झूठ के लिए मोदी मांगेंगे माफी: कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट फिर से साबित करती है कि नोटबंदी मोदी द्वारा निर्मित आपदा थी। जब 99.3 फीसदी पैसा वापस आ गया तो नोटबंदी का फायदा क्या हुआ। पीएम मोदी ने लालकिले से भाषण में कहा था कि नोटबंदी की मदद से सिस्टम से तीन लाख करोड़ का कालाधन बाहर हो जाएगा लेकिन अब साफ हो गया है कि नोटबंदी फेल साबित हुई है। क्या मोदी जी अपने इस झूठ के लिए माफी मांगेंगे।
नोटबंदी पर केंद्र लाए श्वेत पत्र: केजरीवाल
वहीं सीएम केजरीवाल ने कहा कि लोगों को नोटबंदी से काफी नुकसान उठाना पड़ा है। केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा कि नोटबंदी की वजह से लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए। व्यापार को नुकसान हुआ। लोगों को जानने का अधिकार है कि नोटबंदी के जरिए क्या हासिल हुआ। सरकार को इस पर एक श्वेत पत्र लाना चाहिए।
99.3 फीसदी नोट वापस लौटे: आरबीआई
आरबीआर्इ ने बुधवार को 21 महीने बाद नोटबंदी की फाइनल रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी से सिर्फ 10 हजार 700 करोड़ रूपए के नोट वापस नहीं आए हैं। 8 नवंबर 2016 को जब केंद्र सरकार ने 500 व 1,000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। उस वक्त सिस्टम में 15 लाख 42 लाख करोड़ रूपए के कीमत के पुराने नोट थे। उसमें करीब 15 लाख 31 लाख करोड़ रूपए के नोट बैंक के खजाने में वापस आ गए। इसका मतलब नोटबंदी से सिर्फ 10 हजार 700 करोड़ रूपए नहीं लौटे नहीं हैं। रिजर्व बैंक ने 500 रुपए और 1000 रुपये के लापता नोटों के लिए एक आंशिक विवरण दिया गया है कि आरबीआई में जितने नकली नोट पकड़े गए हैं, उनकी हिस्सेदारी 2016-17 के दौरान के 4.3 प्रतिशत की तुलना में 2017-18 के दौरान 36.1 प्रतिशत के साथ काफी अधिक है।