कभी मनमोहन सरकार के करीबी रहे बड़े अधिकारी का दावा, यूपीए सरकार ने आतंकवादियों को बचाने का किया काम महबूबा की सलाह पर नहीं रहा भरोसा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार अभी तक जम्मू और कश्मीर को लेकर जो भी फैसला करती है उससे पहले मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की सलाह जरूर लेती है। उसी के बाद वहां की स्थिति को काबू में करने के लिए कोई कदम उठाती है। चाहे मसला रमजान के दौरान युद्धविराम हो या अलगाववादियों से बातचीत या अन्य फैसले। हर मुद्दे पर सीएम से सलाह मशविरा लिया जाता रहा है। लेकिन पिछले चार सालों में हर मोर्चे पर मिली विफलता के बाद मोदी सरकार अब कोई भी फैसला भाजपा मंत्रियों की सलाह के बिना नहीं लेना चाहती है। भाजपा हाईकमान के इस रुख से पीडीपी नाराज है। माना जा रहा है कि अगर अमित शाह सख्त फैसला लेते हैं तो इसका सीधा असर गठबंधन पर पड़ेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार अभी तक जम्मू और कश्मीर को लेकर जो भी फैसला करती है उससे पहले मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की सलाह जरूर लेती है। उसी के बाद वहां की स्थिति को काबू में करने के लिए कोई कदम उठाती है। चाहे मसला रमजान के दौरान युद्धविराम हो या अलगाववादियों से बातचीत या अन्य फैसले। हर मुद्दे पर सीएम से सलाह मशविरा लिया जाता रहा है। लेकिन पिछले चार सालों में हर मोर्चे पर मिली विफलता के बाद मोदी सरकार अब कोई भी फैसला भाजपा मंत्रियों की सलाह के बिना नहीं लेना चाहती है। भाजपा हाईकमान के इस रुख से पीडीपी नाराज है। माना जा रहा है कि अगर अमित शाह सख्त फैसला लेते हैं तो इसका सीधा असर गठबंधन पर पड़ेगा।
देश में क्या है न्यायपालिका का हाल? खुद मोदी सरकार ने किया खुलासा राज्यपाल शासन लगाने पर विचार संभव
रमजान के बाद अब गृह मंत्रालय की मुख्य चिंता अमरनाथ यात्रा को लेकर है। केंद्र सरकार को आशंका है कि आतंकी कहीं तीर्थयात्रियों को निशाना न बना दें। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अमित शाह पार्टी के मंत्रियों से यह जानना चाहेंगे कि अगर हालात में सुधार होने की गुंजाइश बनती हो जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू किया जा सकता है। साथ ही पूछा जा सकता है कि राज्यपाल शासन लागू करने की वजह से सत्ताधारी पीडीपी से भाजपा के रिश्ते तो प्रभावित नहीं होंगे।
रमजान के बाद अब गृह मंत्रालय की मुख्य चिंता अमरनाथ यात्रा को लेकर है। केंद्र सरकार को आशंका है कि आतंकी कहीं तीर्थयात्रियों को निशाना न बना दें। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अमित शाह पार्टी के मंत्रियों से यह जानना चाहेंगे कि अगर हालात में सुधार होने की गुंजाइश बनती हो जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू किया जा सकता है। साथ ही पूछा जा सकता है कि राज्यपाल शासन लागू करने की वजह से सत्ताधारी पीडीपी से भाजपा के रिश्ते तो प्रभावित नहीं होंगे।
घाटी में आतंकी हमलों से परेशान है सरकार
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के भाजपा नेताओं को दिल्ली बुलाने का फैसला ऐसे समय लिया गया है जब केंद्र सरकार ने राज्य में घोषित सीजफायर को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला लिया है। युद्धविराम सीजफायर करने के बावजूद आतंकी हमलों में कमी न आने और वरिष्ठ पत्रकार की हत्या से राज्य के हालात जटिल हो गए हैं। सरकार ने सेना से कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ फिर से कार्रवाई शुरू करने को कहा है। यही कारण है कि कैबिनेट मंत्रियों को फौरन बुलाया जाना अहम माना जा रहा है।
आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के भाजपा नेताओं को दिल्ली बुलाने का फैसला ऐसे समय लिया गया है जब केंद्र सरकार ने राज्य में घोषित सीजफायर को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला लिया है। युद्धविराम सीजफायर करने के बावजूद आतंकी हमलों में कमी न आने और वरिष्ठ पत्रकार की हत्या से राज्य के हालात जटिल हो गए हैं। सरकार ने सेना से कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ फिर से कार्रवाई शुरू करने को कहा है। यही कारण है कि कैबिनेट मंत्रियों को फौरन बुलाया जाना अहम माना जा रहा है।