नांता क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक व सुंदर अभेड़ा महल को पर्यटन स्थल बनाने के प्रयास वर्षों बाद भी नाकाफी नजर आ रहे हैं।
नांता क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक व सुंदर अभेड़ा महल को पर्यटन स्थल बनाने के प्रयास वर्षों बाद भी नाकाफी नजर आ रहे हैं।
खूबसूरत होने के बावजूद भी इसकी अनदेखी हो रही है। महल की दीवारें, कलाकृतियां बदरंग हो गई हैं। इसमें यहां आने वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। यह सार्वजनिक निर्माण विभाग की संपत्ति है, लेकिन रखरखाव की जिम्मेदारी अभी नगर विकास न्यास के पास है।
महल की दीवारों पर की गई हाड़ौती की समृद्ध कला संस्कृति का नमूना पेश करने वाली चित्रकारी की चमक फीकी पड़ती जा रही है। कई जगहों पर तो चित्र पहचानने में भी नहीं आ रहे हैं। कुछ स्थानों पर यह चित्रकारी दीवारों को छोड़ रही है। कई चित्र दीवारों के प्लास्टर गिरने के कारण खण्डित हो गए हैं। कई जगहों पर महल की दीवारों की चमक भी फीकी पड़ रही है।
रानी महल की दीवारों का प्लास्टर व तालाब के किनारे बना घाट उखड़ चुका है। रानी महल पर अभी ताला लगा हुआ है। इसकी करीनेदार झरौखे की जालियां गिर चुकी हैं। महल परिसर में बच्चों के आकर्षण के केन्द्र झूले टूट गए हैं।
आकर्षण का केन्द्र है ऐसे हालात में भी हर दिन 50 से 100 लोग इसे देखने आ रहे हैं। वयस्क का प्रवेश शुल्क 10, बच्चों का 5, फोटोग्राफी शुल्क 30 व वीडियोग्राफी का शुल्क 70 रुपए है। इसके अलावा पार्र्किंग शुल्क भी रखा गया है।
18वीं शताब्दी का सुंदर नमूना अभेड़ा कोटा शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर है। पहले यहां घना जंगल था, अब यहां आसपास बसावट हो गई है। अभेड़ा कोटा राज्य के शासकों के लिए प्रमुख शिकार स्थल रहा है। यह महल जनाना व मर्दाना दो भागों में बना हुआ है। स्थापत्य शिल्प की दृष्टि से यह 18 वी शताब्दी का सुंदर नमूना है। इसमें आकर्षक झरोखे हैं।
करीनेदार छतरियां हैं। इसके पास सुंदर तालाब है। आकर्षक प्रवेशद्वार व तिबारियां, चित्रकारी, मध्य में बगीचा समृद्ध कला संस्कृति की झांकी को प्रस्तुत करने के लिए प्रर्याप्त है। बगीचा मुगल काल की शैली में विकसित है।