इस लेख में नोटबंदी का जिक्र करते हुए संजय राउत ने कहा है कि नोटबंदी के ऐलान के बाद देश में ऐसे ही हालात बन गए हैं जैसे आपातकाल के दौरान थे। संजय राउत ने कहा कि नोटबंदी ने लोगों का रोजगार छीना, लोगों की जानें गईं, इतना सब होने के बाद नोटबंदी और आपातकाल में कोई फर्क नहीं बताया जा सकता। राउत ने कहा कि जिस दिन इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया उसे काला दिन माना जाता है तो जिस दिन नोटबंदी का ऐलान किया गया उसे भी काला दिन माना जाना चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में अराजकता आ गई थी। कई लोगों का पैसा डूब गया, नौकरी चली गई क्योंकि 500 और 1000 रुपए के नोट रातोरात बंद कर दिए गए। इस फैसले से देश को काफी नुकसान पहुंचा है।
संजय राउत ने आगे कहा है कि यह बिल्कुल गलत होगा कि देश के निर्माण में जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, अंबेडकर, नेताजी बोस और वीर सावरकर को भुला दिया जाए। किसी ने भी इंदिरा गाांधी की तरह देश को इतना अहम योगदान नहीं दिया है। उनका सिर्फ एक आपातकाल का गलत फैसला उनके बेहतर कामों को खत्म नहीं कर सकता है। इसके अलावा संजय राउत ने कश्मीर मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने दावा किया था कि जम्मू कश्मीर में हिंसा खत्म होगी, लेकिन सरकार का यह दावा खोखला साबित हुआ।