उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया है कि कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सबसे पहले पंचायत और नगर पालिका स्तर पर महिलाओं को आरक्षण दिलाने के लिए 1989 में संविधान संशोधन की कोशिश की थी, लेकिन विपक्ष ने इसे नाकाम कर दिया था। बाद में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिये 1993 में इस बिल का रास्ता साफ हुआ।
अगले सत्र में पारित हो सकता है महिला आरक्षण बिल
वैसे मोदी सरकार २०१९ में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की तैयारी में है। सरकार ने दशकों से लटके महिला आरक्षण बिल को संसद के अगले सत्र में पारित कराने की तैयारी शुरू की है। इस बिल के पास होने से संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू हो जाएगी।
इसके अलावा महिलाओं को साथ लाने के लिए कई कदम उठाने की तैयारी की जा रही है। इस बिल को पुराने स्वरूप में ही लोकसभा में पेश किया जाएगा। सरकार की कोशिश होगी कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान यह बिल पेश हो जाए। अगर इसे संसदीय समिति को भी सौंपा जाता है तो अगले साल के दौरान यह आराम से पारित कराया जा सकता है।
महिला सशक्तिकरण के रूप में करेगी प्रचारित
सरकार इसे महिला सशक्तीकरण के रूप में प्रचारित करना चाहती है। पिछले दिनों निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्री पद देना, मुस्लिम महिलाओं के लिए मुसीबत बने तीन तलाक के मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाना और गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन आदि इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं।
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