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करुणानिधि के बाद डीएमके के इतिहास में दूसरे अध्‍यक्ष बने स्‍टालिन, अलागिरी राह में बड़ी बाधा

डीएमके के किसी भी नेता ने एमके स्‍टालिन के विरोध में नामांकन नहीं भरा।

Aug 28, 2018 / 11:39 am

Dhirendra

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करुणानिधि के बाद डीएमके के इतिहास में दूसरे अध्‍यक्ष बने स्‍टालिन, अलागिरी राह में बड़ी बाधा

नई दिल्‍ली। करुणानिधि के निधन के 21 दिनों बाद आज चेन्‍नई में डीएमके की बैठक हुई। इस बैठक में अध्‍यक्ष पद को लेकर चर्चा हुई। इस पद के लिए कुछ दिन पहले पार्टी के नेताओं को नामांकन भरने को कहा गया था। अध्‍यक्ष पद के लिए सिर्फ एमके स्‍टालिन ने नामांकन भरा। यही कारण है कि आज पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं की हुई बैठक में स्‍टालिन को एम करुणानिधि के बाद पार्टी के इतिहास में दूसरा अध्‍यक्ष घोषित किया गया। इसके साथ ही डीएमके की कमान अब उनके हाथों में आ गया है। साथ ही कलैगनार के निधन के बाद से उत्‍तराधिकार को लेकर जारी जंग भी समाप्‍त हो गई है। हालांकि अलागिरी का विरोध जारी रहा तो सभी की सहमति से अध्‍यक्ष बनने के बाद भी द्रविड़ राजनीति में उनके लिए सबसे बड़ी बाधा भी वही साबित होंगे।
निर्विरोध चुने गए
पिछले कुछ दिनों से डीएमके प्रमुख करुणानिधि के निधन के बाद से ही डीएमके में उत्तराधिकारी की जंग तेज हो गई थी। जहां एक तरफ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष स्टालिन इसके दावेदार बताए जा रहे थे वहीं कलैगनार के बड़े बेटी एमके अलागिरी भी इस पद पर अपना दावा जता रहे थे। कुछ दिनों पहले पार्टी अध्‍यक्ष पद के दावेदारों से इस पद के लिए नामांकन भरने को कहा गया था। लेकिन किसी ने स्‍टालिन के विरोध में नामांकन नहीं भरा। यही वजह है कि पार्टी अध्यक्ष के लिए एमके स्टालिन के नाम पर मुहर लग गई। इससे पहले करुणानिधि के छोटे बेटे और डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने इसी रविवार को पार्टी अध्यक्ष के पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। इसके अलावा वरिष्ठ नेता दुरई मुरुगन ने पार्टी कोषाध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा था। नामांकन दाखिल होने के बाद अब कोषाध्यक्ष के नाम का औपचारिक एलान किया जाएगा।
करुणानिधि ने स्‍टालिन को बनाया था उत्‍तराधिकारी
आपको बता दें कि एम करुणानिधि का सात अगस्त को निधन हो गया था। तमिलनाडु की राजनीति के सबसे करिश्माई नेताओं में गिने जाने वाले करुणानिधि पांच बार मुख्यमंत्री रहे। उनके परिवार में उनकी दो पत्नियां और छह बच्चे हैं। द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन उनके छोटे बेटे हैं। उनकी बेटी कनीमोझी राज्यसभा की सदस्य हैं। करुणानिधि ने काफी पहले ही स्टालिन को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। करीब डेढ़ साल पहले उन्हें डीएमके का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था।
अब पार्टी में टूट के आसार
बताया जा रहा है कि स्टालिन के बड़े भाई एमके अलागिरि को उनके नेतृत्व का विरोध करने की वजह से करुणानिधि ने पार्टी विरोधी कार्य में लिप्त रहने के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था। अब इस बात की संभावना ज्‍यादा है कि वह उपचुनाव में द्रमुक विरोधी कार्य कर सकते हैं। उन्‍होंने स्‍टालिन के विरोध में पांच सितंबर को एक बड़ी रैली बुलाई है। इस रैली के साथ ही वह अपनी भविष्य की रणनीति का ऐलान कर सकते हैं। संभावना इस बात की भी जताई जा रही है कि वो नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं।

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