सर्वोच्च न्यायालय ने वृंदावन जैसी जगहों पर बेहाल स्थितियों में रह रही महिलाओं के मामले पर एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। विधवा महिलाओं की स्थिति पर चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इस तरह की संस्थाओं के निर्माण में कई अहम कदम शामिल होते हैं, इसलिए उसके बारे में पूरी समीक्षा कर कोर्ट के सामने रिपोर्ट रखी जाएगी।
विधवाओं के मामले पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित मथुरा-वृंदावन जैसे स्थलों पर रह रही विधवा महिलाओं की स्थिति को कोर्ट ने बहुत दयनीय बताया था। कोर्ट ने इन महिलाओं की स्थिति की तुलना समाज के सोशली डिप्राइव्ड कैटेगरी से करते हुए अगस्त माह में ही कहा था कि ये समाज का वह वर्ग है जो किसी भी तरह की न्याय की किरण से वंचित है। वह पूरी तरह आवाजविहीन है और उसकी तकलीफ सुनी जानी चाहिए।
कोर्ट ने महिलाओं की स्थिति समाज से बहिष्कृत लोगों के जैसी है। शायद यही कारण है कि ये महिलाएं वृंदावन जैसी जगहों पर आकर रहना स्वीकार कर लेती हैं। कोर्ट ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक बात है कि वे उस सम्मान को कभी हासिल नहीं पाती हैं जिसकी वे हकदार हैं। कोर्ट ने कहा कि यह उनका संवैधानिक दायित्व है कि वे उन महिलाओं की आवाज बनें जिनकी आवाज कहीं नहीं सुनी जा रही है।
विधवा विवाह एक उम्मीद इन विधवाओं की दयनीय हालत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने छ लोगों की एक टीम गठित कर तमाम पहलुओं पर विचार करने को कहा है। विधवाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए उनका दोबारा विवाह कराना एक अच्छा और कारगर कदम साबित हो सकता है। कोर्ट ने इस मसले पर भी गंभीर विश्लेषण करने को कहा है।