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कंप्यूटर निगरानी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट दे दखलः उमर अब्दुल्ला

गृह मंत्रालय के 10 केंद्रीय एजेंसियों को देश के लोगों के कंप्यूटर पर नजर रखने-अधिकार करने के आदेश के बाद तमाम विपक्षी दल सामने आ गए हैं।

नई दिल्लीDec 21, 2018 / 11:24 pm

अमित कुमार बाजपेयी

omar abdullha

अब भी काम नहीं कर रही राज्यपाल की फैक्स मशीन- उमर अब्दुल्ला

श्रीनगर। गृह मंत्रालय के 10 केंद्रीय एजेंसियों को देश के लोगों के कंप्यूटर पर नजर रखने-अधिकार करने के आदेश के बाद तमाम विपक्षी दल सामने आ गए हैं। अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देने की बात कही है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय को केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न एजेंसियों को दी गई कंप्यूटर निगरानी की शक्ति के मामले में दखल देना चाहिए।

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केंद्र सरकार द्वारा अपनी एजेंसियों को कार्यालय और व्यक्तिगत कंप्यूटरों पर निगरानी रखने की शक्ति प्रदान करने के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए अब्दुल्ला ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा, “सरकार ने अब कई एजेंसियों को सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों के कार्यालय व व्यक्तिगत कंप्यूटर की निगरानी करने के लिए अधिकृत किया है। मुझे उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय इस आदेश की वैधता पर सख्ती से विचार करेगा।”
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केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर और सूचना सुरक्षा संभाग द्वारा गुरुवार को जारी आदेश में केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय समेत 10 केंद्रीय एजेंसियों को सभी कंप्यूटर की निगरानी करने के लिए अधिकृत किया गया है।
इससे पहले गृह मंत्रालय के इस आदेश के विरोध में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, आनंद शर्मा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, ममता बनर्जी, राम गोपाल यादव, सीताराम येचुरी समेत तमाम नेताओं ने अपना पक्ष रखा।
क्या है आदेश

गृह सचिव राजीव गौबा द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, “सूचना प्रौद्योगिकी (सूचना के इंटरसेप्शन, निगरानी और डिक्रिप्टेशन के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियम, 2009 के नियम 4 के साथ पठित सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 69 की उपधारा (1) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त अधिनियम के अंतर्गत संबंधित विभाग, सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर में आदान-प्रदान किए गए, प्राप्त किए गए या संग्रहित सूचनाओं को इंटरसेप्ट, निगरानी और डिक्रिप्ट करने के लिए प्राधिकृत करता है।”
इन एजेंसियों को मिला अधिकार

जिन 10 एजेंसियों को यह अधिकार दिया गया है उनमें खुफिया ब्यूरो (आईबी), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, कैबिनेट सचिव (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस (केवल जम्मू एवं कश्मीर, पूर्वोत्तर और असम के सेवा क्षेत्रों के लिए) और दिल्ली पुलिस आयुक्त शामिल हैं।
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गृह मंत्रालय की अधिसूचना में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि किसी भी कंप्यूटर संसाधन के प्रभारी सेवा प्रदाता या सब्सक्राइबर इन एजेंसियों को सभी सुविधाएं और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य होंगे।

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