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राजनीति

तेलंगाना: बिसात पर न मोदी, न राहुल, सबसे बड़ा मोहरा केसीआर

तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में टीआरएस की भूमिका बहुत खास मानी जाती है
तेलंगाना में जहां आधुनिक आईटी पार्क हैं, तो वहीं छोटे-छोटे गरीब कसबे भी बड़ी संख्या में हैं
टीआरएस, कांग्रेस और भाजपा के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने से मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है

Mar 29, 2019 / 08:44 am

Manoj Sharma

Telangana

तेलंगाना: बिसात पर न मोदी, न राहुल, सबसे बड़ा मोहरा केसीआर

शादाब अहमद

तेलंगाना में हैदराबाद जैसी मेट्रो सिटी है तो अदीलाबाद जैसा आदिवासी बहुल कस्बा भी है। लेकिन सियासी हालात समान हैं। तेलंगाना में न तो ‘चौकीदार चोर है’ और न ही ‘मैं भी चौकीदार’ की गूंज है। चुनावी चौसर पर सबसे बड़े मोहरे मुख्यमंत्री व तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) के संस्थापक कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव (केसीआर) हैं। विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव भी उनके इर्द-गिर्द ही घूमता नजर आ रहा है।
तेलंगाना को राज्य का दर्जा दिलाने में टीआरएस की अहम भूमिका रही। यही इसकी सबसे बड़ी सियासी जीत है, जिसे केसीआर आज तक भुना रहे हैं। तेलंगाना की जनता भी राज्य बनने का श्रेय केसीआर को ही देती है। केसीआर शासन में हुए विकास कार्यों को सियासत में दिलचस्पी रखने वाला राह चलता आदमी भी गिना देता है। तेलंगाना में 17 लोकसभा सीट है और यहां पहले चरण में 11 अप्रेल को मतदान होना है। नामांकन दाखिल करने का काम खत्म हो चुका है। टीआरएस, कांग्रेस और भाजपा सभी सीट पर चुनाव लड़ेगे। वहीं चन्द्रबाबू नायडू की तेलगुदेशम पार्टी (टीडीपी) और जगमोहन रेड्डी की वायएसआर कांग्रेस पार्टी तेलंगाना में अपने उम्मीदवार नहीं उतार रही है। ऐसे में हैदराबाद को छोडकऱ लगभग 15-16 सीट पर असली मुकाबला टीआरएस और कांग्रेस के बीच देखने को मिलेगा। हैदराबाद में एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर मैदान में है। उनका यहां कांग्रेस व भाजपा से मुकाबला है। टीआरएस उम्मीदवार भी खड़ा कर रही है और ओवैसी का समर्थन भी कर रही है।
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वहीं, मोदी की सभाओं के बल पर भाजपा मुकाबले में आने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस इस बात को जनता तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है कि केसीआर का मोदी से समझौता है। ऐसे में टीआरएस को वोट देने का मतलब सीधे भाजपा को जिताना है। भाजपा इसे महज अफवाह बता रही है।
हैदराबाद मेट्रो में मेरे बगल में बैठकर नामपल्ली से लकड़ी का पुल स्टेशन जा रहे रामालु से चुनावी मुद्दों पर पूछा तो उसने एक सांस में राज्य सरकार की कई योजनाओं के नाम गिना दिए। उन्होंने किसान, युवा, सिंचाई, अल्पसंख्यक समेत कई योजनाओं के नाम बताए और बोले, इन सब का क्रियान्वयन हो रहा है।
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इसलिए केसीआर को वोट मिलते हैं। चौकीदार और चोर जैसे सियासी जुमलों पर कहा कि यहां यह कोई मुद्दा ही नहीं है। बालापुर निवासी शंकर कपाड़ी ने कहा कि विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव, कोई फर्क नहीं पड़ता। मुद्दे गरीबों के ही रहेंगे, यहां राज्य सरकार अच्छा काम कर रही है।

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